शाहीन बाग: मंडप में डॉ. आंबेडकर की फोटो, CAA के विरोध में लहरा रहा 30 फीट ऊंचा भारत का नक्शा

शाहीन बाग के लोगों ने अपने कदम पीछे हटाने से साफ इनकार कर दिया है। हजारों की तदाद में महिलाएं सीएए-एनआरसी के खिलाफ लगातार मोर्चा संभाले हैं। हर रोज शाम से ही भीड़ जुटने लगती है और जैसे-जैसे रात परवान चढ़ती है लोगों की तादाद भी बढ़ने लगती है।

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शन लगातार जारी है। महिलाएं, बच्चे और बूढ़ी औरतें पिछले 36 दिनों से रात दिन धरने पर बैठी हैं, जिसके चलते नोएडा से कालिंदी कुंज मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। हालांकि एंबुलेंस के आने-जाने का रास्ता खुला हुआ है। इसे लेकर विवाद भी देखने को मिल रहा है।

शाहीन बाग के लोगों ने अपने कदम पीछे हटाने से साफ इनकार कर दिया है। हजारों की तदाद में महिलाएं सीएए-एनआरसी के खिलाफ लगातार मोर्चा संभाले हैं। हर रोज शाम से ही भीड़ जुटने लगती है और जैसे-जैसे रात परवान चढ़ती है लोगों की तादाद भी बढ़ने लगती है। हालांकि सैकड़ों महिलाएं इस कड़ाके की ठंड में यहीं पर सोती हैं और यहीं पर खाती हैं।

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लहरा रहे हैं 400 से ज्यादा तिरंगे

नोएडा से फरीदाबाद को जोड़ने वाली कांलिदी मार्ग पूरी तरह से बंद है और डेढ़ किमी की सड़क पर 400 से ज्यादा तिरंगे लगे हैं। इंडिया गेट की तरह ही एक गेट बनाया गया है, जिस पर सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में मारे गए लोगों के नाम दर्ज हैं।

 

डिटेंशन सेंटर भी बनाया गया है

इसके अलावा तीस फिट ऊंचा भारत का नक्शा लोहे से तैयार किया गया है, जिस पर नो एनआरसी, नो सीएए और नो एनपीआर लिखा हुआ है। मंडप में बाबा साहब डॉ. भीम राव आंबेडकर की तस्वीर भी तंगी है। यहां एक "डिटेंशन सेंटर" भी बनाया गया। वहीं पर लंगर भी चल रहे हैं, प्रदर्शनकारियों के लिए कोई चाय पिला रहा तो कोई पानी की बोतलें बांटते दिख रहा है। प्रदर्शनकारियों के लिए खाने की पैकेट भी मुफ्त में बांटे जा रहे हैं।

अस्थायी अस्पताल, रात तक होता है इलाज

शाहीन बाग प्रदर्शन के मंच के ठीक पीछे की ओर एक टेंट में अस्थायी अस्पताल खोला गया है। यह अस्पताल शाम 4 बजे से रात 11 तक चलता है, जहां मुफ्त में इलाज किया जाता है। एम्स और अपोलो के आधा दर्जन डॉक्टर पार्ट टाइम यहां वॉलंटियर के रूप में लोगों का इलाज कर रहे हैं। इसके अलावा एक मेडिकल वैन भी लोगों को मुफ्त में दवाएं दे रही है।

सरकार से कानून वापस लेने की मांग 

48 साल की शागुफ्ता कहती हैं कि हम चाहते हैं कि यह सीएए और एनआरसी जो धर्म के आधार पर लागू हुआ है, मोदी सरकार इस वापस ले ले, क्योंकि यह देश को बांटने वाला कानून है। वहीं, एक 20 साल की छात्रा अपना नाम हिदुस्तानी और कहती है कि हम हिंदुस्तान की आवाज हैं और इस काले कानून के खिलाफ हैं। पिछले 36 दिन से सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रही 50 साल की रजिया कहती हैं कि यह कानून हमारे संविधान के खिलाफ है।

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