श्रद्धा मर्डर केस: इंसाफ के लिए बुलाई महापंचायत में नाइंसाफी होते देख महिला ने समधी को चप्पल से पीटा और फिर?

श्रद्धा वालकर(जिसे वॉकर कहा जा रहा है) हत्याकांड के विरोध और उसे इंसाफ दिलाने के मकसद से दिल्ली के छतरपुर इलाके में बुलाई गई महापंचायत में एक महिला ने हंगामा कर दिया। यह महापंचायत हिंदू एकता मंच ने आयोजित की थी।

नई दिल्ली. श्रद्धा वालकर(जिसे वॉकर कहा जा रहा है) हत्याकांड(horrific Shraddha Walker murder case) के विरोध और उसे इंसाफ दिलाने के मकसद से दिल्ली के छतरपुर इलाके में बुलाई गई महापंचायत में एक महिला ने हंगामा कर दिया। यह महापंचायत हिंदू एकता मंच ने आयोजित की थी। महापंचायत उसी इलाके में रखी गई थी, जहां श्रद्धा का जघन्य तरीके से मर्डर हुआ था। इसे बेटी बचाओ फाउंडेशन ने भी समर्थन दिया था। पढ़िए क्या है मामला...


हिंदू एकता मंच ने मंगलवार को महापंचायत का आयोजन किया था। इसी बीच एक महिला अपनी व्यथा को लेकर मंच पर चढ़ गई। लेकिन एक शख्स ने उसे धक्का देकर माइक से हटाने की कोशिश की। इससे महिला भड़क उठी। उसने चप्पल निकालकर अपनी समधी को मारना शुरू कर दिया। हालांकि, मंच पर मौजूद लोगों ने बीच-बचाव किया। बता दें कि श्रद्धा के लिव इन पार्टनर आफताब अमीन ने 18 मई की रात 10 बजे श्रद्धा का कत्ल कर दिया। इसी दिन दोनों का जमकर झगड़ा हुआ था। दरअसल, श्रद्धा लगातार आफताब पर शादी के लिए दबाव बना रही थी, लेकिन वो इसे टाल रहा था। पूनावाला ने कथित तौर पर 27 वर्षीय श्रद्धा वालकर का गला घोंट दिया था। उसके शरीर के 35 से 36 टुकड़े कर दिए थे, जिसे उसने कई दिनों तक शहर भर में फेंकने से पहले दक्षिण दिल्ली में अपने महरौली स्थित आवास पर लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा था।

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दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस को आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट कराने की अनुमति दे दी। यह जानकारी पूनावाला के वकील ने मीडिया को दी। पूनावाला के वकील अविनाश कुमार ने कहा कि पुलिस ने 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को पूनावाला को फॉरेंसिक साइंस लैब, रोहिणी ले जाने के लिए एक आवेदन दायर किया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। पुलिस ने पहले कहा था कि एफएसएल के विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा रोहिणी के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में नार्को टेस्ट किया जाएगा।

सोमवार को पूनावाला पर उस समय एफएसएल में कुछ हथियारबंद लोगों ने हमला कर दिया था, जब वह पुलिस वैन में था। सोशल मीडिया पर सामने आए हमले के एक वीडियो में एक पुलिसकर्मी को हमलावरों को पीछे हटने की चेतावनी देने के लिए अपनी पिस्तौल निकालते हुए दिखाया गया था। घटना के बाद से एफएसएल के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां पूनावाला का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया गया है।

नार्को टेस्ट को ट्रुथ सीरम(truth serum) के रूप में भी जाना जाता है। इसमें एक दवा (जैसे सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन, और सोडियम अमाइटल) को नसों के जरिये दिया जाता है। इसके बाद व्यक्ति अर्धमूर्छित यानी सम्मोहक अवस्था में आ जाता है। व्यक्ति कम संकोची हो जाता है। ऐसी अवस्था में उससे जानकारी प्रकट करने की अधिक संभावना होती है, जो आमतौर पर सचेत अवस्था में प्रकट नहीं होती।

जांच एजेंसियां ​​इस टेस्ट का उपयोग तब करती हैं, जब अन्य सबूत मामले की तह तक नहीं पहुंच पाते या आरोपी पुलिस को गुमराह करता है। दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि वह पूनावाला के नार्को टेस्ट के लिए अनुमति मांग रही है, क्योंकि पूछताछ के दौरान उसके जवाब गुमराह करने वाले थे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि किसी भी व्यक्ति की सहमति के बिना उसका नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं किया जा सकता है। साथ ही, इस टेस्ट के दौरान दिए गए बयान अदालत में प्रायमरी एविडेंस(truth serum) के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं, सिवाय कुछ परिस्थितियों के जहां बेंच को लगता है कि मामले के तथ्य और प्रकृति इसकी अनुमति देते हैं।

पूनावाला को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। उसे तब पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था, जिसे 17 नवंबर को पांच दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया था। 22 नवंबर को उसे चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। अदालत ने 26 नवंबर को उसे 13 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। 

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