महिलाओं के टैलेंट और हुनर को भरपूर मौका देने 'वर्क फ्रॉम होम' में बड़ा बदलाव संभव, PM मोदी ने दी हिंट

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रम मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में महिलाओं के टैलेंट और मेहनत के भरपूर प्रयोग और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक नई पहल के संकेत दिए हैं। मोदी कहा कि अगर नारी शक्ति का इस्तेमाल करें तो भारत अपने लक्ष्यों को तेजी से हासिल कर सकता है।"

 

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार(25 अगस्त) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन( labor ministers conference) को संबोधित किया है। इस अवसर पर केन्‍द्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव एवं श्री रामेश्वर तेली और राज्यों के श्रम मंत्री उपस्थित थे। मोदी ने सम्मेलन में महिलाओं के टैलेंट और मेहनत के भरपूर प्रयोग और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक नई पहल के संकेत दिए हैं। मोदी ने अपने भाषण में कहा, "अगर हम अपनी नारी शक्ति का इस्तेमाल करें तो भारत अपने लक्ष्यों को तेजी से हासिल कर सकता है।" यानी आगे वाले समय में वर्क फ्रॉम होम को लेकर पॉलिसी में बदलाव संभव है। बता दें कि केन्‍द्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 25-26 अगस्त 2022 को तिरुपति, आंध्र प्रदेश में दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया है। इसमें केन्‍द्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर नीतियां बनाने और श्रमिकों के कल्याण के लिए योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा तय करने में मदद मिलेगी।

जानिए PM मोदी ने और क्या कहा
प्रधानमंत्री ने कहा कि कि देश का श्रम मंत्रालय(labor Ministry) अमृत काल में वर्ष 2047 के लिए अपना विजन तैयार कर रहा है। यानी भविष्य में काम के अनुकूल कार्यस्थलों, वर्क फ्राम होम इकोसिस्‍टम और फ़्लेक्जिबल वर्क के घंटों की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम महिलाओं की लेबर पॉवर का भरपूर और उचित इस्तेमाल करने के रूप में अनुकूल वर्क प्लेस जैसी व्‍यवस्‍था का उपयोग कर सकते हैं। लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने देश की महिला शक्ति की पूरी भागीदारी का आह्वान किया है। नारी शक्ति का सही उपयोग करके भारत अपने लक्ष्यों को तेजी से हासिल कर सकता है।प्रधानमंत्री ने देश में नए उभरते क्षेत्रों में महिलाओं के लिए क्या किया जा सकता है, इस दिशा में सोचने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

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मोदी ने कहा कि देश ने दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है, जिसका बहुत सारा श्रेय लाखों श्रमिकों को जाता है। 

बता दें कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत की महिलाओं की कार्य भागीदारी(India's female work participation) रेट लगभग 25% थी, हालांकि यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के हिसाब से सबसे कम थी।

मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में देश की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि उसने आने वाले वर्षों में अपने जनसांख्यिकीय लाभांश( demographic dividend) का कितना अच्छा उपयोग किया। हम एक हाई क्वालिटी स्किल्ड वर्क फोर्स तैयार कर सकते हैं और ग्लोबल अपॉरच्यूनिटीज का लाभ उठा सकते हैं। पीएम ने कहा, भारत ने कई देशों के साथ माइग्रेशन और गतिशीलता साझेदारी एग्रीमेंट्स पर साइन किए हैं। उन्होंने राज्यों से इन एग्रीमेंट्स का लाभ उठाने का आग्रह किया।

मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना( Pradhan Mantri Shram-Yogi Maandhan Yojana), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत श्रमिकों को कवर किया है। सम्मेलन में राज्यों और केंद्र के श्रम मंत्रालय के श्रम मंत्रियों से केंद्र और राज्य सरकारों की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को एक मंच यानी केंद्र के 'ई-श्रम पोर्टल' पर एकीकृत(integrating ) करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने की उम्मीद है। इसे देश में सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

मोदी ने और क्या कहा, जानिए कुछ मुख्य बातें
आपातकालीन ऋण गारंटी योजना ने महामारी के दौरान 1.5 करोड़ नौकरियों को बचाया। उन्होंने आगे कहा, "हम देख रहे हैं कि जिस तरह देश ने अपने श्रमिकों की जरूरत के समय में सहायता की, उसी तरह श्रमिकों ने इस महामारी से उबरने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। आज भारत एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है, इसलिए इसका बहुत बड़ा श्रेय हमारे श्रमिकों को जाता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि ई-श्रम पोर्टल श्रम बल को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की महत्वपूर्ण पहलों में से एक है। केवल एक वर्ष में, पोर्टल पर 400 क्षेत्रों के लगभग 28 करोड़ श्रमिकों को रजिस्टर्ड किया गया है।  मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में सरकार ने गुलामी की मानसिकता के दौर वाले और उसे दर्शाने वाले उस अवधि के कानूनों को खत्म करने की पहल की है। देश अब बदल रहा है, इसमें सुधार हो रहा है, ऐसे श्रम कानूनों को सरल बना रहा है।

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