SIT रिपोर्ट के 10 बड़े दावेः अहमद पटेल-तीस्ता सीतलवाड़ की सीक्रेट मीटिंग, 3 दिन में सरकार गिराने की धमकी
तीस्ता सीतलवाड़ एक बार फिर से सुर्खियों में हैं क्योंकि एसआईटी ने उन पर एक के बाद एक कई खुलासे किए हैं। एसआईटी का दावा है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने एनजीओ के माध्यम से लाखों का हेरफेर किया और सरकार गिराने तक की साजिश रची।
Manoj Kumar | Published : Jul 16, 2022 7:36 AM IST / Updated: Jul 16 2022, 01:40 PM IST
नई दिल्ली. तीस्ता सीतलवाड़ पर एसआईटी रिपोर्ट का सबसे बड़ा आरोप यह है कि कांग्रेस के दिवगंत नेता अहमद पटेल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तीस्ता सीतलवाड़ को मोहरा बनाया था। 2002 के गुजरात दंगे के आरोप में सीएम मोदी को फंसाने के लिए तीस्ता का इस्तेमाल किया गया, जिसके लिए सीतलवाड़ को पैसे भी दिए गए। 10 प्वाइंट में समझते हैं कि एसआईटी ने तीस्ता पर क्या-क्या आरोप लगाए हैं...
विशेष जांच दल यानी एसआईटी का दावा है कि गुजरात दंगे के बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार गिराने की बड़ी साजिश में तीस्ता शामिल थीं। कांग्रेस के दिवगंत नेता अहमद पटेल ने यह साजिश रची, जिसके लिए तीस्ता का इस्तेमाल किया गया।
सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे गुजरात के कांग्रेस नेता अहमद पटेल पर लगे आरोपों का कांग्रेस ने पुरजोर खंडन किया है। कांग्रेस का कहना है कि यह आरोप प्रधानमंत्री द्वारा खुद को पाक साफ घोषित करने की प्रक्रिया है। क्योंकि 2002 में उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही गुजरात में दंगे हुए थे।
तीस्ता सीतलवाड़ पर यह आरोप है कि गुजरात दंगों के कुछ महीने बाद दिल्ली में अहमद पटेल के आवास पर तीस्ता सीतलवाड़, आईपीएस संजीव भट्ट व अहमद पटेल की गुप्त बैठक की गई थी। यह दावा एसआईटी ने गवाह के माध्यम से दायर हलफनामे में किया गया है।
तीस्ता पर यह भी आरोप है कि उन्होंने गुजरात दंगों के बाद गुजरात की छवि बिगाड़ने के लिए राजनैतिक दलों से सांठगाठ की। तीस्ता ने सिलसिलेवार तरीके से अभियान चलाकर बीजेपी सरकार को अस्थिर करने का काम किया। गुजरात पुलिस ने भी माना था कि तीस्ता द्वारा उठाया गया यह कदम निर्दोष लोगों को फंसाने की साजिश थी।
एसआईटी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि कांग्रे के दिवंगत नेता अहमद पटेल से पहले 5 लाख रुपए फिर 25 लाख रुपए लिए गए। यह पैसे गुजरात राहत समिति के नाम पर पीड़ितों की मदद के लिए लिए गए लेकिन इसका इस्तेमाल राजनैतिक साजिश के लिए किया गया। रिपोर्ट में तीस्ता की राजनैतिक महत्वाकांक्षा का भी जिक्र किया गया है।
तीस्ता सीतलवाड़ कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा जाना चाहती थीं क्योंकि उन्होंने यह ख्वाहिश कई जगहों पर बताई भी थी। एसआईटी रिपोर्ट में गवाह के माध्यम से यह दावा किया गया है कि तीस्ता ने किसी नेता से कहा था कि शबाना आजमी और जावेद अख्तर को राज्यसभा भेजा जा सकता है तो उन्हें क्यों नहीं।
एसआईटी रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि हरेन पांड्या के पिता विट्ठलभाई पांड्या को भी अपने साथ मिलाने की कोशिशें तीस्ता ने की थीं। इतना ही नहीं उन्होंने एक शिकायत भी तैयार किया था जिस पर विट्ठलभाई के साइन लेने कोशिश की थी। हालांकि इसमें तीस्ता को सफलता नहीं मिली।
हालांकि अहमद पटेल की बेटी ने इस क्लेम से इनकार किया है। उनका कहना है कि अहमद पटेल के नाम पर आज भी राजनीति की जा रही है, इसका मतलब वे बड़े नेता थे, जो अब भी विपक्ष की राजनीति को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों के बाद अब तीस्ता का नाम अहमद पटेल के साथ क्यों जोड़ा जा रहा है।
एसआईटी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तीस्ता सीतलवाड़ को इसका इनाम भी मिला और उन्होंने एनजीओ के माध्यम से लाखों का वारा न्यारा किया। उनके एनजीओ के विदेशी कनेक्शन का खुलासा भी तीस्ता के ही पूर्व सहयोगी ने किया है।
तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार दिया गया, यह वही साल है, जब गुजरात में दंगे हुए। इसके 5 साल बाद 2007 में तीस्ता को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। तब यूपीए 1 की सरकार केंद्र में थी और गुजरात दंगों की जांच लगातार सुर्खियां बटोर रही थी।