सामाजिक न्याय मीटिंग के बहाने विपक्षी एकता की कोशिश: जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मंथन, लोकसभा चुनाव 2024 के पहले तमिलनाडु सीएम स्टालिन की बड़ी पहल

सोमवार को स्टालिन ने सामाजिक न्याय मुद्दे पर मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में अधिकतर विपक्षी दल शामिल हुए। स्टालिन के बुलावे पर दूसरी बार विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाई है।

Social Justice meeting: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले विपक्षी एकता की लगातार कोशिशें हो रही हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस की प्रमुख सहयोगी डीएमके ने एक बार फिर प्रमुख विपक्षी दलों को एक साथ लाकर कांग्रेस के साथ गठबंधन तैयार करने का संकेत दिया है। सोमवार को स्टालिन ने सामाजिक न्याय मुद्दे पर मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में अधिकतर विपक्षी दल शामिल हुए। स्टालिन के बुलावे पर दूसरी बार विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाई है।

स्टालिन ने क्यों बुलाई थी मीटिंग?

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तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन ने सामाजिक न्याय की मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में जातिगत जनगणना को लेकर चर्चा की गई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित विपक्ष की यह दूसरी बैठक है, जो अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले विपक्षी एकता पर जोर देने वाले वार्ताकार के रूप में उभरे हैं। हालांकि, डीएमके ने बैठक में किसी भी राजनीतिक कोण से इनकार किया है। डीएमके ने कहा कि यह सामाजिक न्याय आंदोलन को आगे ले जाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमें इस तथ्य से नहीं शर्माना चाहिए कि यह एक राजनीतिक मंच है। उन्होंने, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और उनके आंध्र प्रदेश के समकक्ष जगन मोहन रेड्डी से ऐसे मंचों में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दो या तीन पार्टियां बीजेपी से लड़ना नहीं चाहतीं। यह ग्रे होने का समय नहीं है। यह ब्लैक या व्हाइट होने का समय है। हमारे पास एक काम है... मैं बीजेडी से अपील करता हूं कि उन्हें साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि नवीन पटनायक को यहां होना चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को भी साथ देना चाहिए।

कौन-कौन शामिल हुआ?

सामाजिक न्याय पर दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, सपा चीफ अखिलेश यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन, वाम नेता सीताराम येचुरी और डी राजा भाग ले रहे हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना की बीआरएस पार्टी, शरद पवार की एनसीपी शामिल हुई। कांग्रेस के राहुल गांधी को संसद से अयोग्य ठहराए जाने के बाद यह पहला ऐसा प्रयास है जिसमें विपक्षी एकता दिख रही है। हाल ही में डीएमके ने एक रैली आयोजित की जिसमें मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के 70वें जन्मदिन पर कई विपक्षी नेता एक साथ आए थे। इस रैली में सभी दलों को एकजुट होकर बीजेपी से मुकाबला करने की बात उठी थी।

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