सोनिया गांधी ने सूचना के अधिकार कानून में हुए संशोधनों को लेकर गुरुवार को मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और गंभीर आरोप लगाया। कहा, सरकार कानून को कमजोर करके अपने जिम्मेदारियों से भाग रही है।
नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सूचना का अधिकार कानून में संशोधनों को लेकर गुरुवार को मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया, इस सरकार ने एजेंडे के तहत संशोधित कानून के माध्यम से सूचना आयुक्तों की स्वायत्तता की बलि चढ़ा दी। इसके साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया कि अब मोदी सरकार अपनी चापलूसी करने वाले अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगी और अपनी जवाबदेही से बच जाएगी।
कांग्रेस सरकार ने दिया जन्म
सोनिया ने एक बयान में कहा, ‘‘कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार की सबसे गौरवशाली उपलब्धियों में से एक ‘सूचना का अधिकार कानून’ था जो 2005 में बना था। इस ऐतिहासिक कानून ने सूचना आयोग जैसी संस्था को जन्म दिया, जिसने पिछले 13 साल में प्रजातंत्र के मायने बदलकर शासन तथा प्रशासन में पारदर्शिता लाने एवं सरकारों की आम जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने का काम किया।’’
आरटीआई ने उजागर किए भ्रष्टाचार
सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘आरटीआई कानून ने सरकार एवं नागरिकों के बीच उत्तरदायित्व एवं जिम्मेदारी का सीधा संबंध स्थापित किया तथा भ्रष्टाचारी आचरण पर निर्णायक प्रहार भी किया। पूरे देश के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के उन्मूलन, सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता के आकलन तथा नोटबंदी और चुनाव जैसी प्रक्रियाओं की कमियों को उजागर करने के लिए इस कानून का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।’’
जवाब मांगता है कानून
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मोदी सरकार आरटीआई की संस्था को अपने निरंकुश एजेंडा को लागू करने में एक बड़ी अड़चन के तौर पर देखती आई है। यह कानून जवाब मांगता है और भाजपा सरकार किसी भी तरह के जवाब देने से साफ-साफ इंकार करती आई है।’’
सरकार ने कमजोर कर दिया कानून
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दावा किया कि ‘‘ भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में एक एजेंडा के तहत केंद्र और राज्यों में बड़ी संख्या में सूचना आयुक्तों के पद रिक्त पड़े रहे। यहां तक कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी दस महीने तक खाली रहा। इसके पीछे मोदी सरकार का लक्ष्य आरटीआई कानून को प्रभावहीन एवं कमजोर करना था।’’ सोनिया ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा सरकार ने अब आरटीआई कानून पर अपना निर्णायक प्रहार भी कर दिया है। इस कानून की प्रभावशीलता को और अधिक कमजोर करने के लिए मोदी सरकार ने ऐसे संशोधन पारित किए हैं।
सरकार ने अधिकारों को दी बली
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि पारित संशोधन से सूचना आयुक्तों की शक्तियों को संस्थागत तरीके से कमजोर करके उन्हें सरकार के अधीन कर देंगे। साफ है कि सूचना आयुक्त सरकारी अधिकारियों की तरह काम करके सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित न कर पाएं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सूचना आयुक्तों के पद का कार्यकाल केंद्र सरकार के निर्णय के अधीन करते हुए पाँच से घटाकर तीन साल कर दिया गया है। 2005 के कानून के तहत उनका कार्यकाल पूरे पाँच साल के लिए निर्धारित था, ताकि वह सरकार और प्रशासन के हस्तक्षेप एवं दबाव से पूरी तरह मुक्त रहें। लेकिन संशोधित क़ानून में उनकी स्वायत्तता की पूरी तरह बलि दे दी गई है।’’
सूचना आयुक्त नहीं कर सकेंगे काम
सोनिया ने कहा कि सरकार के खिलाफ सूचना जारी करने वाले किसी भी सूचना अधिकारी को अब तत्काल हटाया जा सकता है या फिर पद से बर्खास्त किया जा सकता है। इससे केंद्र और राज्य के सभी सूचना आयुक्तों का अपने कर्तव्य का निर्वहन करने तथा सरकार को जवाबदेह बनाने का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे संशोधन के तहत सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्तों और शर्तों के नियम केंद्र सरकार द्वारा नए सिरे से तय किए जाएंगे। जिसमें वेतन और भत्तों को मोदी सरकार की इच्छानुसार कम-ज्यादा किया जा सकेगा।’’ पदों के कार्यकाल और भत्तों को कम करने का अधिकार अपने हाथ में लेकर मोदी सरकार ने साफ कर दिया, कोई भी ईमानदार अधिकारी इस तरह के वातावरण में काम नहीं कर सकेगा। इन संशोधनों के बाद कोई भी सूचना आयुक्त मोदी सरकार के हस्तक्षेप और निर्देशों से बचा नहीं रह सकेगा।
इशारों पर नाचेंगे अधिकारी
गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘इसके द्वारा मोदी सरकार अपने इशारों पर काम करने वाले अधिकारियों को जब तक चाहे, जैसे चाहे, नियुक्त कर सकेगी। वे मजबूरी में सरकार की चापलूसी के लिए काम करेंगे और जिन प्रश्नों के उत्तर सरकार नहीं देना चाहेगी, उन पर मौन साध लेंगे।’’ सोनिया ने कहा, ‘‘हमने संसद में इन संशोधनों का विरोध किया है और आगे भी इसके खिलाफ लड़ते रहेंगे। हम अपने लोकतांत्रिक संस्थानों पर इस षडयंत्रकारी हमले की कड़ी निंदा करते हैं और देश के कल्याण के विपरीत लिए जा रहे भाजपा सरकार के निर्णयों तथा निरंकुश एवं तानाशाही गतिविधियों का विरोध करते रहेंगे।’’
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)