पंजाब में पराली जलाने पर सख्ती नहीं होने का असर दिल्ली की हवा पर पड़ रहा है। स्काईमेट वेदर(skymet weather) के अनुसार, दिल्ली और एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में रह सकता है।
नई दिल्ली. पंजाब में पराली जलाने पर सख्ती नहीं होने का असर दिल्ली की हवा पर पड़ रहा है। पंजाब में पराली जलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, इससे दिल्ली में वायु प्रदूषण और बढ़ने का खतरा बना हुआ है। इस बीच स्काईमेट वेदर(skymet weather) के अनुसार, दिल्ली और एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में रह सकता है।
दिल्ली-NCR में लगातार बढ़ रहा पॉल्युशन
दिल्ली-NCR में पराली जलाए जाने से (stubble burning) PM2.5 पॉल्युशन रविवार को बढ़कर 26% हो गया, जो इस साल अब तक का सबसे अधिक है। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को खेतों पराली जलाने के लिए लगाई गई आग से पीएम2.5 प्रदूषण का 21 प्रतिशत हिस्सा हुआ। बता दें कि PM2.5 महीन कण होते हैं जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं और लंग्स में गहराई तक जा सकते हैं, फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।
जानिए कैसे बिगड़ रही दिल्ली की हवा
दिल्ली के PM2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान अक्टूबर की शुरुआत में लंबे समय तक बारिश और धीमी परिवहन-स्तर की हवाओं के कारण शुक्रवार तक कम (7 प्रतिशत तक) रहा, जो खेत की आग से धुएं को राजधानी तक ले जाने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं थे। दिवाली (24 अक्टूबर) पर, दिल्ली में कुल PM2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान पांच से आठ प्रतिशत था। दिल्ली के PM2.5 प्रदूषण में खेत की आग की हिस्सेदारी 2021 में दिवाली पर 25 प्रतिशत, 2020 में 32 प्रतिशत और 2019 में 19 प्रतिशत थी।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के मुताबिक पंजाब में रविवार को 1,761, शनिवार को 1,898, शुक्रवार को इस सीजन में सबसे अधिक यानी 2,067 और गुरुवार को 1,111 पराली की आग लगाने की सूचना मिली। रविवार को हरियाणा और उत्तर प्रदेश में क्रमशः पराली जलाने के 112 और 43 मामले दर्ज किए। Cवायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग(ommission for Air Quality Management) ने गुरुवार को कहा था कि इस साल पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं।
सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग डेटा के मुताबिक, 24 अक्टूबर तक पंजाब में बुवाई क्षेत्र का केवल 39 प्रतिशत हिस्सा ही काटा गया था और इस प्रकार आग की घटनाओं की बढ़ती संख्या एक खतरनाक स्थिति थी। प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के साथ आसपास के राज्यों में धान की पराली जलाना राष्ट्रीय राजधानी में अक्टूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि का एक प्रमुख कारण है।
पंजाब ने बिगाड़ी दिल्ली की हवा
गेहूं और सब्जियों की खेती से पहले फसल के अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए किसानों ने अपने खेतों में आग लगा देते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच 71,304 खेत में आग लगी और 2020 में इसी अवधि में 83,002 खेत में आग लगी। पिछले साल, दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में खेत की आग का हिस्सा 7 नवंबर को 48 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
अब जानिए मौसम का हाल
स्काईमेट वेदर(skymet weather) के अनुसार, एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ(western disturbance) 31 अक्टूबर की रात से पश्चिमी हिमालय को प्रभावित करेगा। पिछले 24 घंटों के दौरान, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु के दक्षिण तट पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर भारी बारिश हुई। दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु के शेष हिस्सों और केरल में हल्की से मध्यम बारिश हुई। दक्षिण तटीय कर्नाटक में एक या दो स्थानों पर हल्की बारिश हुई।
आगे ऐसा रहेगा मौसम
मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटों के दौरान, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, तटीय तमिलनाडु और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। तमिलनाडु, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और केरल के शेष हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। 1 नवंबर से जम्मू कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश और हिमपात होगा। उसके दो या तीन दिन बाद बारिश और बर्फबारी की गतिविधियां तेज हो जाएंगी तथा अधिक स्थानों पर फैल जाएगी।
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