पंजाब का हर 7वां व्यक्ति ले रहा ड्रग्स, हर दूसरे दिन मर रहा एक युवा, 60% यूथ महज 28 साल की उम्र के

2016 में  एक फिल्म आई थी-उड़ता पंजाब। इस फिल्म ने पंजाब में फैलते नशे के कारोबार(Drugs mafia and business) का पर्दाफाश किया था। लेकिन इस धंधे पर कोई भी सरकार नकेल नहीं कस पाई है। हालात यह है कि पिछले 100 दिनों में पंजाब में 59 लोगों की नशे के ओवरडोज से मौत हुई है।
 

चंडीगढ़. पंजाब के युवाओं की नसों में नशा मौत बनकर दौड़ रहा है। मीडिया हाउस दैनिक भास्कर ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसके अनुसार पिछले 100 दिनों में प्रदेश में 59 लोगों की नशे के ओवरडोज से मौत हुई है। मतलब हर दूसरे दिन एक युवक नशे की भेंट चढ़ रहा है। जान गंवाने वाले इन 60 प्रतिशत युवाओं की उम्र महज 28 साल के अंदर होती है। वहीं, 90 प्रतिशत युवाओं को यह ड्रग्स उनके गांवों से ही मिलती है। यानी गांव-गांव तक ड्रग्स का कारोबार अपने पैर पसार चुका है। 2016 में  एक फिल्म आई थी-उड़ता पंजाब। इस फिल्म ने पंजाब में फैलते नशे के कारोबार(Drugs mafia and business) का पर्दाफाश किया था। लेकिन इस धंधे पर कोई भी सरकार नकेल नहीं कस पाई है। (यह तस्वीर पंजाब के फाजिका के गांव भंबा वट्टू के रहने वाले 30 साल के ओमप्रकाश की है। इसकी 3 मई को नशे के ओवरडोज से मौत हो गई थी। यह तस्वीर दैनिक भास्कर से साभार)

मान के लिए टेंशन बने ड्रग्स माफिया
चंडीगढ़ स्थित द पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) की स्टडी में खुलासा हुआ है कि पंजाब में हर 7वां व्यक्ति ड्रग्स ले रहा है। यानी 15.4 फीसदी आबादी ड्रग्स एडिक्ट हो चुकी है। यह स्टडी पीजीआई के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग ने की है। पंजाब में ड्रग्स की ओवरडोज से हो रहीं मौतों ने हड़कंप मचा दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान को ड्रग्स के खिलाफ नीति बनाने के लिए पुलिस के आला अधिकारियों की एक बैठक बुलाई पड़ी है। मान दावा कर रहे हैं कि 6 महीने में वे पंजाब से ड्रग्स माफिया को उखाड़ फेंकेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान कहते हैं कि ड्रग माफिया से मिलीभगत मिलने पर किसी भी राजनीति व्यक्ति या अफसर को छोड़ेंगे नहीं। सभी लोग बिना राजनीतिक दबाव के पंजाब को नशामुक्त करने की दिशा में काम करें। नशा करने वालों के बजाय ड्रग्स बेचने वालों को गिरफ्तार करें, क्योंकि ये लोग पहले ही ड्रग्स का शिकार हैं।

Latest Videos

हर दिन 17 करोड़ का नशा
पंजाब में ड्रग्स को लेकर न्यूज18 ने मार्च में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसके अनुसार पंजाब के युवा हर दिन ड्रग्स पर करीब 17 करोड़ रुपए खर्च करते हैं। यानी ये युवा एक महीने में करीब 6500 करोड़ रुपए ड्रग्स पर बर्बाद कर रहे हैं।

कुछ समय पहले भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने एक सर्वे किया था। इसके अनुसार, पंजाब में ड्रग्स का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2,32,856 है। सर्वाधिक 53 फीसदी (123413) लोग हेरोइन और चिट्टे का नशा करते हैं। हेरोइन और चिट्टे का नशा करने के लिए औसतन एक युवक 1400 रुपए प्रतिदिन खर्च करता है।

2015 और 2016 तक हुए सर्वेक्षणों के मुताबिक नशा करने वालों में 99 फीसदी पुरुष ही शामिल थे, लेकिन अब महिलाओं की संख्या भी काफी बढ़ गई है।

यह भी जानें
एक मीडिया हाउस(दैनिक भास्कर) ने 6 साल पहले एक एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। तब बताया गया था कि पंजाब में 7,500 करोड़ रुपये का है नशे का कारोबार है। तब से अब तक इसमें काफी ईजाफ हो चुका है। पंजाब के 89% यूथ नशे की चपेट में आ चुके हैं।

-पंजाब में सबसे सस्ता नशा चित्ता होता है। जो लोग महंगा ड्रग्स नहीं खरीद पाते, वे इसका नशा करते हैं।

अगर पूरे भारत की बात करें, तो 3-4 सालों में डग्स का बाजार 455 प्रतिशत बढ़ गया है। आजतक ने पिछले साल एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें बताया गया कि देश के 2.1 प्रतिशत लोग गैरकानूनी नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। इसमें मिजोरम पहले, पंजाब दूसरे और दिल्ली तीसरे नंबर पर हैं। इनमें से 44 प्रतिशत ड्रग एडिक्ट्स नशा छोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन 25 प्रतिशत ही सफल हो पाते हैं।

यह भी पढ़ें
मोहाली ब्लास्ट : डीजीपी समेत बड़े अफसरों के साथ सीएम भगवंत मान की हाईलेवल मीटिंग, तलब कर सकते हैं रिपोर्ट
श्रीलंका हिंसा की शॉकिंग तस्वीरें: 30 साल चले गृहयुद्ध को खत्म करने वाला नायक बना खलनायक, हर तरफ आग

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

दिल्ली-NCR में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया बड़ा आदेश, जानें क्या-क्या कहा
BJP प्रत्याशी पर उमड़ा लोगों का प्यार, मंच पर नोटों से गया तौला #Shorts
Nagpur Poha Shop पर पहुंचे Rahul Gandhi, फिर खुद भी किया ट्राई | Maharashtra Election 2024
दिल्ली चुनाव से पहले BJP में शामिल हुए कैलाश गहलोत, AAP के सभी दावों की खोल दी पोल
किसी पर नहीं आई झांसी अग्निकांड के जांच की आंच, आखिर क्यों नहीं हुआ अब तक ये एक काम?