सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआई के नए डायरेक्टर बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 1985 बैच के IPS सुबोध कुमार जायसवाल को यह जिम्मेदारी देने का फैसला किया गया। इस बैठक में भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी भी मौजूद थे।
नई दिल्ली. सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआई के नए डायरेक्टर बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 1985 बैच के IPS सुबोध कुमार जायसवाल को यह जिम्मेदारी देने का फैसला किया गया। इस बैठक में भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी भी मौजूद थे।
सीबीआई के पूर्व चीफ ऋषि शुक्ला 3 फरवरी को रिटायर हुए थे। इसके बाद से यह पद खाली था। अभी अतिरिक्त निदेशक प्रवीण सिन्हा इसके अंतरिम डायरेक्टर बनाए गए थे। मंगलवार को पर्सनल मिनिस्ट्री ने जायसवाल की नियुक्ति का आदेश जारी किया।
CISF के डायरेक्टर जनरल थे सुबोध कुमार
सीबीआई चीफ की बैठक में उत्तर प्रदेश के DGP एचसी अवस्थी, SSB के DG कुमार राजेश चंद्रा और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी का नाम भी था। लेकिन सुबोध कुमार जायसवाल को चीफ बनाया गया। वे 58 साल के हैं। ऐसे में दो साल तक सीबीआई चीफ रहेंगे। अभी सुबोध कुमार CISF के डायरेक्टर जनरल थे। वे महाराष्ट्र के DGP और ATS भी रह चुके हैं। खास बात ये है कि सुबोध कुमार ने 36 साल के कैरियर में चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया।
महाराष्ट्र सरकार से रही टकरार
सुबोध कुमार महाराष्ट्र में लंबे वक्त तक रहे। उन्होंने एटीएस में भी काम किया है। वे मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी रहे हैं। इसके अलावा जब जायसवाल राज्य के डीजीपी थे, तब तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के तबादले को लेकर उनकी तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के साथ तकरार भी हुई थी। लेकिन खास बात ये है कि अब जब देशमुख पर भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगे हैं, सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। ऐसे में सीबीआई चीफ के पास इस केस में जांच की कमान रहेगी।
जासूसों के मास्टर कहे जाते हैं जायसवाल
सुबोध जायसवाल की छवि पर कभी कोई दाग नहीं लगा है। उन्होंने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में भी 7 साल अपनी सेवाएं दी हैं। जायसवाल को जासूसों का मास्टर भी कहा जाता है। उन्हें 2009 में प्रेसिडेंट पुलिस मेडल से भी नवाजा जा चुका है।
इन बड़े केसों में कर चुके जांच
जायसवाल कई बड़े केसों पर काम कर चुके हैं। उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस फोर्स का चीफ रहते हुए तेलगी फेक स्टांप पेपर केस में जांच की थी। इसके अलावा एटीएस में रहते हुए 2006 में मालेगांव ब्लास्ट में भी जांच कर चुके हैं। भीमा कोरेगांव में भी जायसवाल के नेतृत्व में जांच हो रही थी, हालांकि बाद में केस सीबीआई को सौंप दिया गया।
तीन बार एनडीए में फेल हुए
सुबोध कुमार तीन बार नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में फेल हो चुके हैं। यह बात उन्होंने खुद एक कार्यक्रम में बताई थी। उन्होंने बताया था कि वे झारखंड के छोटे से गांव से हैं। इतना ही नहीं उन्होंने बताया था कि UPSC का एग्जाम क्लियर करने के बाद उन्हें पता नहीं था कि इसके बाद नौकरी कौन सी मिलेगी।