गड्ढे में बच्चे का हाथ देखकर शुरू की खुदाई, 82 घंटे बाद आने लगी दुर्गन्ध तो कहा, हो गई मौत

तमिलनाडु के त्रिची शहर के नाडुकाटुपत्ती गांव में बोरवेल में गिरे 2 साल के बच्चे सुजीत विल्सन को जिंदा नहीं बचाया जा सका। तीन दिन तक बचाने की कोशिश की गई, लेकिन बच्चे का शरीर डिकंपोज्ड होने लगा था। पहले सुजीत के हाथ दिख रहे थे। 

नई दिल्ली. तमिलनाडु के त्रिची शहर के नाडुकाटुपत्ती गांव में बोरवेल में गिरे 2 साल के बच्चे सुजीत विल्सन को जिंदा नहीं बचाया जा सका। तीन दिन तक बचाने की कोशिश की गई, लेकिन बच्चे का शरीर डिकंपोज्ड होने लगा था। पहले सुजीत के हाथ दिख रहे थे। इसलिए बचावकर्मियों ने उसके हाथों को रस्सी से बांधकर निकालने की कोशिश की जो नाकाम रही। इसके बाद गड्ढा खोदने का फैसला लिया गया।

एनडीआरएफ की छह और डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स बचाव में लगी थी
- सुजीत को बचाने के लिए एनडीआरएफ की छह और राज्य डिजास्टर रिस्पॉन्स की फोर्स की टीमें लगी थीं। जब बचावकर्मी हाथ बांधकर बाहर निकालने में फेल हो गए तो फिर बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदने का फैसला किया गया। 
- 35 फीट की खुदाई कर ली गई थी, 45 फीट की खुदाई बाकी थी। लेकिन उससे पहले ही सुजीत की सांस बंद हो गई।

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पिता के खेत में बना था बोरवेल
नाडुकट्टुपट्टी गांव का सुजीत शुक्रवार शाम करीब 5 बजकर 40 मिनट पर खेलते-खेलते अपने पिता के खेत में बने बोरवेल में गिर गया था। वह गिरने के बाद 30 फीट  की गहराई में  फंस गया था। इसके बाद रात में सरकते हुए लगभग  100 फीट की गहराई में जाकर फंस गया। मासूम को बचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने अभियान चलाया। 

82 घंटे तक चला बचाव अभियान
सोमवार रात करीब साढ़े 10 बजे बोरवेल से दुर्गंध आने की जानकारी दी। मेडिकल की टीम ने दुर्गंध और अन्य परिस्थितियों की जांच के बाद  बताया कि बच्चे की मौत हो चुकी है जिसके बाद बोरवेल के सामानांतर खुदाई का काम रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि  82 घंटे तक चला बचाव अभियान सफल नहीं हो सका। शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है।

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