सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) से पूछा कि यदि आप यह कह रहे हैं कि दिल्ली शराब नीति से आम आदमी पार्टी को फायदा पहुंचा तो पार्टी आरोपी क्यों नहीं है।
Delhi Liquor Policy. दिल्ली शराब नीति मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से पूछा कि- हम यह स्पष्ट जानना चाहतें कि दिल्ली शराब नीति से आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ का फायदा मिलने की बात कही जा रही तो अभी तक पार्टी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। क्या दिल्ली शराब नीति का किसी राजनैतिक दल पर असर नहीं पड़ा है। कोर्ट ने यह कानूनी सवाल प्रवर्तन निदेशालय से किया है। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।
कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से कहा कि जब एजेंसी यह दलील दे रही है कि दिल्ली शराब नीति से आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है तो अभी तक पार्टी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। क्या राजनैतिक दल इस केस में पार्टी नहीं है। आप इसका उत्तर कैसे देंगे। इस एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट से कहा कि आज एजेंसी इस सवाल का डिटेल में जवाब दे देगी। यदि हमारे पास सबूत मिलते हैं तो हम उन्हें भी आरोपी बनाएंगे और जिम्मेदारी तय करेंगे।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी भट्टी की बेंच ने कल कहा था कि जहां तक मनी लॉड्रिंग का मामला है तो यह केस पूरी तरह से साफ है कि सारा बेनिफिट राजनैतिक दल को मिला है। आपके अनुसार पार्टी ही इस पूरे प्रकरण में बेनिफिशियरी है। लेकिन अभी तक पार्टी को आरोपी नहीं बनाया गया है। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि पार्टी ने शराब नीति घोटाले से मिले पैसे को चुनावों में खर्च किया है। अब सुप्रीम कोर्ट के सवाल के बाद एजेंसी पार्टी को आरोपी बनाने को लेकर कानूनी राय ले रही है।
सुप्रीन कोर्ट ने एक और सवाल उठाया कि दिल्ली सरकार के कैबिनेट नोट जिसके आधार पर यह नीति लागू की गई, क्या कोर्ट उसे एग्जामिन कर सकती है। कोर्ट ने माना कि कैबिनेट नोट की जांच करने को लेकर कुछ कानूनी प्रावधान हैं और इस पर जजमेंट भी आया है, हमें यह नहीं पता कि यह दिल्ली सरकार पर लागू होता है या नहीं।
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