महाराष्ट्र की ढाई साल पुरानी महा विकास अघाड़ी सरकार (एमवीए) बीते जून महीने में संकट में आ गई थी। शिवसेना के करीब 39 विधायकों ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बगावत करके बीजेपी से हाथ मिला ली थी।
नई दिल्ली। शिवसेना (Shiv Sena) के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बीच विवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई बुधवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट में होने वाली यह सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी। शिवसेना सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र में तब तक राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है जब तक कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अपना फैसला नहीं दे देती।
30 जून को एकनाथ शिंदे ने ली थी शपथ
दरअसल, महाराष्ट्र की ढाई साल पुरानी महा विकास अघाड़ी सरकार (एमवीए) बीते जून महीने में संकट में आ गई थी। शिवसेना के करीब 39 विधायकों ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बगावत करके बीजेपी से हाथ मिला ली थी। एमवीए सरकार को जाना पड़ा था और उद्धव ठाकरे के इस्तीफा के बाद एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना बागियों व बीजेपी की सरकार बनी थी। 30 जून को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। जबकि बीजेपी की ओर से उपमुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ लिया था। फिलहाल, महाराष्ट्र कैबिनेट में दो सदस्य हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने पर कोई फैसला नहीं करने को कहा था। महाराष्ट्र विधानमंडल सचिव राजेंद्र भागवत ने शिवसेना के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को चालीस नोटिस भेजे गए हैं और अन्य 13 उद्धव ठाकरे समूह के हैं। दोनों समूहों ने प्रतिद्वंद्वी गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की है। सूत्रों का कहना है कि नई मंत्रिपरिषद का गठन 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के कुछ दिनों बाद हो सकता है।
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