सौरभ कृपाल पर खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने किया सार्वजनिक, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने की कड़ी टिप्पणी

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वेबसाइट पर जज के लिए तीन उम्मीदवारों की पदोन्नति और अपने स्वयं के काउंटर पर सरकार की आपत्तियों को प्रकाशित कर दिया।

Supreme Court Vs Government on Collegium: सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच कॉलेजियम को लेकर टकराहट बढ़ती ही जा रही है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू लगातार सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था की आलोचना कर रहे हैं। रिजिजू ने समलैंगिक जज की नियुक्ति संबंधी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर कड़ी आलोचना की है। दरअसल, सौरभ कृपाल को जज के रूप में नियुक्ति को केंद्र सरकार ने खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट को आधार बनाकर खारिज कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए कहा कि रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं जिसके आधार पर नियुक्ति न की जा सके।

सौरभ कृपाल का क्या है पूरा मामला?

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम जजों की नियुक्ति की सिफारिश करता है। सिफारिश किए गए नामों में सरकार को फाइनल करना होता है। जज के रूप में सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को प्रोन्नत करने के लिए कॉलेजियम ने सिफारिश की है। सौरभ कृपाल एक समलैंगिक हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति से इनकार कर दिया। कई बार सुप्रीम कोर्ट ने उनके नाम का प्रस्ताव भेजा। हर बार फाइल लौटा दी गई। कुछ दिनों से कॉलेजियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच बढ़ी तल्खी ने इस मुद्दे पर भी टकराहट पैदा कर दी है।

सरकार ने कहा खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर नियुक्ति लंबित

सौरभ कृपाल की नियुक्ति का मामला जब तूल पकड़ा तो सरकार ने यह कहा कि खुफिया एजेंसियों रॉ व आईबी ने आपत्ति जताई है। दरअसल, एजेंसियों ने उनके विदेशी पार्टनर को लेकर सवाल खड़े किए हैं। सौरभ कृपाल के पार्टनर निकोलस जर्मेन वाकमैन स्विस नागरिक हैं। वह स्विस दूतावास में काम करते हैं। केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए रोक लगा दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने साफ कहा कि खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट से ऐसा नहीं लगता है कि कृपाल से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। पहले से यह मान लेना कि उनके पार्टनर भारत के प्रति दुश्‍मनी का भाव रखते होंगे, गलत है।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की नियुक्तियों पर आपत्ति की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी

दरअसल, खलबली तब मची जब सुप्रीम कोर्ट ने सौरभ कृपाल समेत तीन जजों की नियुक्ति पर आपत्ति की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वेबसाइट पर जज के लिए तीन उम्मीदवारों की पदोन्नति और अपने स्वयं के काउंटर पर सरकार की आपत्तियों को प्रकाशित कर दिया। इस रिपोर्ट्स कें रॉ और आईबी के इनपुट भी कोर्ट ने सार्वजनिक कर दिए जिसको आधार बनाकर सरकार नियुक्ति से इनकार कर दी। 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने खुले तौर पर समलैंगिक अधिवक्ता सहित तीन उम्मीदवारों को न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने पर सरकार की आपत्तियों का खंडन करते हुए अपने पत्र सार्वजनिक रूप से अपलोड किए थे।

छिड़ गई जुबानी जंग...

सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिपोर्ट्स को सार्वजनिक किए जाने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम के निर्णय पर फिर सवाल किए। कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि रॉ या आईबी की गुप्त और संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि यदि देश के लिए कोई गुप्त काम कर रहा है तो वह कई बार सोचेगा कि यदि उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में डाल दी जाती है तो उसका क्या प्रभाव पड़ेगा।

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