मौत की सजा देने के मामलों में SC ने गाइड लाइन तय की, निर्भया केस में 7 साल बाद भी फांसी नहीं

निर्भया केस में दोषियों को फांसी देने में 7 साल से भी ज्यादा वक्त बीत गया। अभी उन्हें फांसी नहीं हुई। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में नई गाइडलाइन तय की है। अगर कोई हाईकोर्ट किसी मौत की सजा की पुष्टि करना है और सुप्रीम कोर्ट इसकी अपली पर सुनवाई की सहमति जताता है तो 6 महीने के भीतर मामला सूचीबद्ध होगा।

नई दिल्ली. निर्भया केस में दोषियों को फांसी देने में 7 साल से भी ज्यादा वक्त बीत गया। अभी उन्हें फांसी नहीं हुई। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में नई गाइडलाइन तय की है। अगर कोई हाईकोर्ट किसी मौत की सजा की पुष्टि करना है और सुप्रीम कोर्ट इसकी अपली पर सुनवाई की सहमति जताता है तो 6 महीने के भीतर मामला सूचीबद्ध होगा।

60 दिन में सारा रिकॉर्ड SC को भेजा जाएगा
गाइड लाइन में कहा गया है कि मामला तीन जजों की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने के बाद रजिस्ट्री इस संबंध में मौत की सजा सुनाने वाली अदालत को सूचना देगी। 60 दिनों के भीतर केस संबंधी सारा रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया जाएगा। 

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30 दिन का और समय दिया जा सकता है
नई गाइड लाइन के मुताबिक अगर इस संबंध में कोई अतिरिक्त दस्तावेज या स्थानीय भाषा के दस्तावजों का ट्रांसलेशन देना है तो वो भी दिया जाए। रजिस्ट्री पक्षकारों को अतिरिक्त दस्तावेज के लिए 30 दिन का और समय दे सकती है। अगर निश्चित समय में यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो मामले को रजिस्ट्रार के पास नहीं बल्कि जज के चेंबर में सूचीबद्ध किया जाएगा और फिर जज आदेश जारी करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री क्या होती है?
सुप्रीम कोर्ट में वह कार्यालय जो सभी दस्तावेजों को स्वीकार करता है और उन पर कार्यवाही आगे बढ़ाता है। इसमें छह रजिस्ट्रार होते हैं जिनका प्रमुख सेक्रेटरी-जनरल होता है। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के अधिकारी जिला जज के दर्जे के न्यायिक अधिकारी होते हैं।

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