'1856-57 तक नमाज पढ़ने के सबूत नहीं...' अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज कर दिया। सीजेआई गोगोई ने कहा, "हम 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन को खारिज करते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2019 5:31 AM IST / Updated: Nov 09 2019, 06:36 PM IST

नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज कर दिया। सीजेआई गोगोई ने कहा, "हम 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन को खारिज करते हैं। जज ने अयोध्या पर फैसला पढ़ते हुए कहा कि मस्जिद 1528 में बनी है, इससे फर्क नहीं पड़ता है। एक व्यक्ति की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने। 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्ति रखी गई।"  

सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी बातें
1- नमाज की जगह को मस्जिद मानने से मना नहीं कर सकते हैं। निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया है। वह सेवादार नहीं है। 
2- कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर बाकी ने बनवाया था। कोर्ट के लिए धर्मशास्त्र के क्षेत्र में आना अनुचित है। 
3- रामलला को कानूनी मान्यता दी है। ASI के उत्खनन को सबूत माना है। कहा है कि उसे अनदेखा नहीं कर सकते हैं। 
4- बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी, नीचे विशाल रचना थी, जो कि इस्लामिक नहीं थी 
5- पुरातात्विक साक्ष्य हिंदू मूल की एक अंतर्निहित संरचना का समर्थन करते हैं। हालांकि ASI यह साबित नहीं कर पाया कि मस्जिद हिन्दू मंदिर को तोड़ कर बनाया गया था।  
6- हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है। 
7-1856-57 तक नमाज पढ़ने के सबूत नहीं।
8- राम के जन्म होने का किसी ने विरोध नहीं किया।
9- टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता है।
10- अंग्रेजों ने दोनों हिस्सों को अलग-अलग करने के लिए रेलिंग बनाई।

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