ईवीएम पर्चियों की क्रॉस चेकिंग पर सुनवाई: सु्प्रीम कोर्ट ने छेड़छाड़ रोकने पर मांगा सुझाव तो प्रशांत भूषण ने की यह मांग

ईवीएम से होने वाली वोटिंग में वीवीपीएटी सिस्टम से निकली पर्चियों के सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की है।

Dheerendra Gopal | Published : Apr 16, 2024 10:00 AM IST / Updated: Apr 17 2024, 01:12 AM IST

EVM Voting VVPAT slips: ईवीएम से होने वाली वोटिंग में वीवीपीएटी सिस्टम से निकली पर्चियों के सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सीक्रेट वोटिंग सिस्टम की समस्याओं की ओर भी इशारा किया।

याचिकाकर्ता एसोसएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के वकील प्रशांत भूषण से जस्टिस खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम 60 के दशक में हैं। हम सभी जानते हैं कि जब मतपत्र थे तो क्या हुआ था, आप भी जानते होंगे लेकिन हम नहीं भूले हैं।

दरअसल, प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि अधिकांश यूरोपीय देश जिन्होंने ईवीएम के माध्यम से मतदान का विकल्प चुना था, वे कागजी मतपत्रों पर लौट आए हैं। हम कागजी मतपत्रों पर वापस जा सकते हैं। दूसरा विकल्प मतदाताओं को वीवीपैट पर्ची देना है। पर्चियां मशीन में गिर जाती हैं। फिर पर्ची मतदाता को दी जा सकती है और इसे मतपेटी में डाला जा सकता है। वीवीपीएटी का डिज़ाइन बदल दिया गया, इसे पारदर्शी ग्लास होना था लेकिन इसे गहरे अपारदर्शी दर्पण ग्लास में बदल दिया गया। यहां यह केवल 7 सेकंड के लिए प्रकाश चालू होने पर ही दिखाई देता है।

जस्टिस दीपांकर ने जर्मनी की जनसंख्या पर पूछ लिया सवाल

प्रशांत भूषण ने जब जर्मनी का उदाहरण दिया तो बेंच में शामिल जस्टिस दीपांकर गुप्ता ने पूछा कि जर्मनी की जनसंख्या कितनी होगी। भूषण ने उत्तर दिया कि यह लगभग 6 करोड़ है। उन्होंने बताया कि भारत में 50-60 करोड़ मतदाता हैं। फिर जस्टिस खन्ना ने कहा, हमारे देश में पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या सत्तानवे करोड़ है।

60 करोड़ पर्चियों की गिनती कैसे?

एक याचिकाकर्ता की ओर से उनके सीनियर अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि ईवीएम पर डाले गए वोटों का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाना चाहिए। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने जवाब दिया, "हां, 60 करोड़ वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जानी चाहिए। है ना?"

छेड़छाड़ मशीन के साथ हो सकता, इसको लेकर कोई सुझाव दें

बेंच ने कहा कि मानवीय हस्तक्षेप समस्याओं को जन्म देता है और मानवीय कमजोरी हो सकती है जिसमें पूर्वाग्रह भी शामिल हैं। सामान्य तौर पर मानवीय हस्तक्षेप के बिना मशीन आपको सटीक परिणाम देगी। हां, समस्या तब उत्पन्न होती है जब मानव हस्तक्षेप होता है या सॉफ़्टवेयर या मशीन के आसपास अनधिकृत परिवर्तन करता है। यदि आपके पास इसे रोकने के लिए कोई सुझाव है तो आप हमें दे सकते हैं।

वोटर को पर्ची लेने और फिर मतपेटी में डालने की अनुमति मिले

बेंच के कहने के बाद प्रशांत भूषण ने ईवीएम छेड़छाड़ की संभावना पर एक रिसर्च पेपर पढ़ा। वे प्रति विधानसभा केवल 5 वीवीपैट मशीनों की गिनती कर रहे हैं जबकि ऐसी 200 मशीनें हैं। यह केवल 5 प्रतिशत है। इसमें कोई औचित्य नहीं हो सकता है। सात सेकंड की रोशनी से भी हेरफेर हो सकता है। मतदाता को लेने की अनुमति दी जा सकती है वीवीपैट पर्ची और इसे मतपेटी में डाल दें।

सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि मैं श्री भूषण की हर बात को मानता हूं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि कोई दुर्भावना है। मुद्दा केवल अपने द्वारा दिए गए वोट पर मतदाता के विश्वास का है।

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