ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वे: सुप्रीम कोर्ट सुन रहा हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों का तर्क

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर(Gyanvapi Masjid Case) में सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। सर्वे के खिलाफ मसाजिद कमेटी ने याचिका दाखिल की है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ कर रही है।

नई दिल्ली. देशभर में सुर्खियों में आए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर(Gyanvapi Masjid Case) में सर्वे का मामला और तूल पकड़ चुका है। सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। सर्वे के खिलाफ मसाजिद कमेटी ने याचिका दाखिल की है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ कर रही है। बता दें कि सोमवार को वाराणसी की एक अदालत ने जिला प्रशासन को परिसर के अंदर सर्वेक्षण स्थल को सील करने का निर्देश दिया है। 

हिंदू सेना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची
इधर, हिंदू सेना ने  भी अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी की प्रबंधन समिति द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका के मामले में हस्तक्षेप करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगा रखी है। इसमें मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करने की मांग की गई है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में 16 मई को अर्जी दाखिल की है। उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत पूजा करने का अधिकार मांगा है।

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इसलिए पहुंचा सुप्रीम कोर्ट मामला
13 मई को सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट फुजैल अहमदी ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण को तुरंत रोकने की याचिका दाखिल की थी। हालांकि तब सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि वो पहले इससे जुड़ी फाइलें देखेगा। फिर कुछ फैसला लेगा।

14 मई को हुई थी सर्वे की शुरुआत
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की शुरुआत 14 मई से हुई थी। सर्वे के आखिरी दिन हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग निकला है। इसके बाद अदालत ने उस जगह को सील करने का आदेश दिया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष अलग तर्क दे रहा है। ज्ञानवापी मस्जिद के वकील रईस अहमद अंसारी के मुताबिक फव्वारे को शिवलिंग बताकर पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है। इस बीच अयोध्या के तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगतगुरु परमहंसा आचार्य मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि वो भारत के मुसलमानों से कहना चाहते हैं कि अयोध्या का फैसला देख लिया, काशी का फैसला देख लिया। अब आपको आगे आकर किसी मुगल आक्रांताओं के द्वारा जो हिंदू देवी देवताओं के मंदिरों को तोड़कर जहां-2 मस्जिद बनाई गई हैं। उनको हिंदूओं को देने की बात करनी चाहिए।

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