महाराष्ट्र सरकार मामले में विपक्षी दलों (शिवसेना, एनसीपी) की याचिका पर SC में सुनवाई हुई। शिवसेना की तरफ से कपिल सिब्बल, एनसीपी की ओर से मनु सिंघवी, भाजपा की तरफ से मुकुल रोहतगी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट रूम में मौजूद थे।
नई दिल्ली. महाराष्ट्र सरकार मामले में विपक्षी दलों (शिवसेना, एनसीपी) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में चार पक्ष हैं। शिवसेना की तरफ से कपिल सिब्बल, एनसीपी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, महाराष्ट्र भाजपा और देवेंद्र फडणवीस की तरफ से मुकुल रोहतगी और केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट रूम में मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में तीन जजों की बेंच सुनवाई की। फैसला मंगलवार की सुबह 10.30 बजे सुनाया जाएगा।
कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील
1- क्या गवर्नर के आदेश को चुनौती दी जा सकती है?
2- राज्यपाल ने 9 नवंबर तक इंतजार किया। सबके मना करने पर राष्ट्रपति शासन लगा।
3- अजित पवार ने 54 विधायकों की चिट्ठी दी। अजित की चिट्ठी मराठी में थी, उसमें लिखा था- मैं अजित पवार विधायक दल का नेता हूं।
4- अजित पवार ने चिट्ठी में लिखा है, मैं विधायक दल का नेता हूं। मुझे सभी विधायकों का समर्थन है। फडणवीस को समर्थन दे रहे हैं।
5- विपक्ष को टूट का डर इसलिए जल्दी में हैं। इनको डर है कि विधायक भाग जाएंगे।
भाजपा की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी की दलील
1- चुनाव से पहले हमारी गठबंधन सहयोगी रही शिवसेना ने साथ छोड़ दिया। फिर एनसीपी हमारे साथ आई। ये केस येदियुरप्पा मामले से अलग है।
2-जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा, महाराष्ट्र में आज की स्थिति क्या है? क्या विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया? मुकुल रोहतगी ने कहा, पता नहीं।
3- राज्यपाल ने 30 नवंबर की तारीख दी है। गवर्नर ने समझ से तय किया। जल्द फ्लोर टेस्ट की मांग क्यों सुनें?
4- विधानसभा की जब बैठक होगी तो जिसकी संख्या ज्यादा होगी, उसका स्पीकर बनेगा। यही प्रक्रिया है।
5- प्रोटेम स्पीकर सिर्फ शपथ दिलाते हैं। स्पीकर चुने जाने के बाद विपक्ष का नेता तय होता है। फिर विश्वास मत होता है।
शिवसेना के वकील कपिल सिब्बल की दलील
1- सिब्बल ने कहा कि 22 नवंबर को तीनों पार्टियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। तीनों पार्टियों ने साथ आने का एलान किया।
2- कपिल सिब्बल के सवाल पर कोर्ट ने कहा, राज्यपाल ने चिट्ठी के आधार पर फैसला लिया।
3- अजित पवार को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया है। 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट हो।
4- राज्यपाल 24 घंटे इंतजार नहीं कर सकते थे?
5-केंद्र की नीयत में खोट है, वरिष्ठ सदस्य की निगरानी में शक्ति परिक्षण हो।
6-जिस तरह बिना कैबिनेट मीटिंग के फैसले हुआ, वह आपातकालीन प्रावधान है।
7- देश मे ऐसी क्या राष्ट्रीय विपदा आ गयी थी कि सुबह 5 बजे राष्ट्रपति शासन हटा और 8 बजे मुख्यमंत्री की शपथ भी दिलवा दी गई?
8- सिब्बल की दलील पर जस्टिस खन्ना ने कहा, यह बात आपकी याचिका में नहीं है, इसे न बोलें।
एनसीपी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलील
1-एमएलए की चिट्ठी धोखा है। दस्तखत हैं लेकिन विधायक साथ नहीं हैं।
2- फ्लोर टेस्ट के लिए 24 घंटे का इंतजार नहीं, बल्कि आज ही होना चाहिए।
3-मैं फ्लोर टेस्ट हारने को तैयार हूं, लेकिन यह आज ही होना चाहिए। वरिष्ठतम विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाए।
4- मनु सिंघवी ने कोर्ट को आदेश सुझाया और कहा कि विशेष सत्र बुलाएं, जिसमें सिर्फ बहुमत परीक्षण हो।
5- कोर्ट ने कहा कि हम सुनवाई कर रहे हैं। हम तय करेंगे कि क्या करना है।
6- कोर्ट ने कहा कि अपनी दलीलों को याचिका कि मांगों तक सीमित रखिए। तब मनु सिंघवी ने कहा, आपका कहना सही है। मगर वे बातें अंतरात्मा को धक्का पहुंचती हैं, जब कोई कोर्ट में खड़ा होकर कहता है कि मैं एनसीपी हूं।
7- मनु सिंघवी- दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट को सही कह रहे हैं तो फिर इसमें देर क्यों?