SC ने कर्नाटक में स्पीकर के फैसले को सही ठहराया, लेकिन दोबारा चुनाव लड़ सकेंगे 17 बागी विधायक

कर्नाटक के 17 अयोग्य ठहराए गए विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर का फैसला सही है, लेकिन अयोग्य ठहराए गए विधायक चुनाव लड़ सकेंगे। बता दें कि 5 दिसंबर को 15 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। 25 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रख लिया था। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के दौरान दोनों पार्टियों के 17 विधायक बागी हो गए थे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 13, 2019 5:19 AM IST / Updated: Nov 13 2019, 11:07 AM IST

नई दिल्ली. कर्नाटक के 17 अयोग्य ठहराए गए विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर का फैसला सही है, लेकिन अयोग्य ठहराए गए विधायक चुनाव लड़ सकेंगे। बता दें कि 5 दिसंबर को 15 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। 25 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रख लिया था। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के दौरान दोनों पार्टियों के 17 विधायक बागी हो गए थे। इन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, स्पीकर ने इसे स्वीकार नहीं किया था। बागियों में से  14 कांग्रेस और 3 जेडीएस के थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के फ्लोर टेस्ट के दौरान ये विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। इसके बाद स्पीकर ने इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद राज्य में भाजपा की सरकार बनी। 

5 दिसंबर को 15 सीटों पर उपचुनाव
कर्नाटक विधानसभा में 17 विधानसभा सीटों में से 15 पर 5 दिसंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होना है। इन 15 सीटों पर 7 लाख 50 हजार से ज्यादा मतदाता हैं। उपचुनाव के लिए 4185 पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे। मतदान के लिए ईवीएम के साथ वीवीपैट का भी इस्तेमाल होगा। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 224 सीटों में से भाजपा को 104, कांग्रेस को 89, जेडीएस को 37 सीट मिली थी।

भाजपा के लिए अहम फैसला क्यों ?

224 में 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए विधानसभा में कुल 207 विधायक बचे हैं। 15 सीटों पर चुनाव होने हैं, ऐसे में कुल विधायक 222 हो जाएंगे, ऐसे में बहुमत के लिए 112 विधायकों को जरूरत है। भाजपा के पास अभी 106 विधायक हैं और 6 विधायकों की जरूरत है।

17 विधायकों को अयोग्य कब ठहराया गया था ?

विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने विधानसभा में एच डी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास प्रस्ताव से पहले ही 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त करने मे विफल रहने पर कुमारस्वामी की सरकार ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भाजपा के बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में नई सरकार का गठन हुआ था।

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