बिहार में जाति जनगणना: सुप्रीम कोर्ट के जज संजय करोल ने इस वजह से कहा- नहीं कर सकता सुनवाई

Published : May 17, 2023, 02:14 PM IST
Supreme Court of India

सार

बिहार में जाति जनगणना पर होने वाली सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस संजय करोल ने खुद को अलग कर लिया है। वह पहले पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। अब इस मामले में सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन होगा।

नई दिल्ली। बिहार में जाति जनगणना कराए जाने पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। बिहार सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बुधवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान बेंच में शामिल जज संजय करोल ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। अब बेंच में उनकी जगह दूसरे जज को लेनी होगी।

6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले संजय करोल पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। करोल ने कहा कि हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई के दौरान वह कुछ संबंधित मुकदमों में पक्षकार थे। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में नहीं रहना चाहते। इसके सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि मामले को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के सामने पेश किया जाए। इसमें नए बेंच का गठन करना होगा। बुधवार को सुनवाई करने वाली पीठ में जस्टिस बीआर गवई शामिल थे।

हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर लगाई थी रोक

दरअसल, बिहार सरकार राज्य में जातीय जनगणना करा रही थी। इससे पता चलता कि राज्य में किस जाति के कितने लोग रहते हैं। इसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। 4 मई को हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है। बिहार सरकार ने कहा कि जातीय जनगणना पर रोक से पूरी कवायद पर उल्टा प्रभाव पड़ेगा। जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक मामला है।

संविधान के अनुच्छेद 15 में कहा गया है कि राज्य किसी भी नागरिक के खिलाफ केवल धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगी। अनुच्छेद 16 में कहा गया है कि राज्य के अधीन किसी कार्यालय में नियोजन या नियुक्ति में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर होंगे। बिहार सरकार ने कहा कि कुछ जिलों में जातीय जनगणना का 80 प्रतिशत से अधिक काम हो गया है। कुछ जिलों में सिर्फ 10 प्रतिशत से कम काम बचा है। पूरी मशीनरी जमीनी स्तर पर काम कर रही है। जनगणना पूरा करने में कोई नुकसान नहीं होगा।

जनवरी 2023 में शुरू हुई थी जातीय जनगणना

जातीय जनगणना जनवरी 2023 में शुरू हुई थी। हाई कोर्ट ने जातिगत जनगणना पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम रोक लगाई है और डाटा को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी। चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने यह आदेश दिया था।

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