सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला के खिलाफ जनहित याचिका खारिज कर दी। यह याचिका जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दिए गए बयानों को लेकर दायर की गई थी। याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार की राय से अलग विचारों को राजद्रोह नहीं कहा जा सकता।
नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला के खिलाफ जनहित याचिका खारिज कर दी। यह याचिका जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दिए गए बयानों को लेकर दायर की गई थी। याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सरकार की राय से अलग विचारों को राजद्रोह नहीं कहा जा सकता।
दरअसल, अब्दुल्ला के बयानों को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि अब्दुल्ला ने देश के खिलाफ बयान दिया, इसलिए उनकी संसद सदस्यता रद्द की जाए। इतना ही याचिका में कहा गया है कि अगर अब्दुल्ला संसद के सदस्य बने रहते हैं, तो इससे यह संदेश जाएगा कि भारत में देश-विरोधी गतिविधियों को इजाजत दी जाती है और यह देश की एकता के खिलाफ होगा।
ठोका 50 हजार का हर्जाना
जस्टिस किशन कौल और हेमंत गुप्ता की बेंच ने रजत शर्मा और नेह श्रीवास्तव पर याचिकर्ता पर 50 हजार का हर्जाना भी लगाया है। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि अब्दुल्ला ने धारा 370 हटाने के खिलाफ चीन और पाकिस्तान से मदद मांगने की बात कही थी।
13 मार्च 2020 तक नजरबंद रहे अब्दुल्ला
फारूख अब्दुल्ला श्रीनगर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हैं। उन्हें 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने से पहले केंद्र सरकार ने घर में ही नजरबंद कर दिया था। अब्दुल्ला 13 मार्च 2020 को रिहा किए गए थे।