
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने सिलसिलेवार ढंग से अपनी बात रखी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर 'Special Intensive Revision' प्रक्रिया में अवैधता साबित होती है तो सितंबर तक यानी चुनाव से दो महीने पहले भी पूरी वोटर लिस्ट रद्द की जा सकती है। यह मामला उस विवाद से जुड़ा है, जिसमें Election Commission (EC) ने बिहार के वोटर्स से नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे हैं। विपक्ष का आरोप है कि EC के पास नागरिकता तय करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा किआप पांच करोड़ लोगों की नागरिकता पर शक नहीं कर सकते। EC को सिर्फ पहचान सुनिश्चित करनी है, नागरिकता तय करने का अधिकार गृह मंत्रालय के पास है। सिंघवी ने सवाल उठाया कि अगर कोई पहले से वोटर लिस्ट में है, तो EC कैसे तय करेगा कि वह नागरिक है या नहीं।
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