Bihar Voter List Controversy: सुप्रीम कोर्ट बोला-चुनाव के दो महीना पहले भी रद्द होगी वोटर लिस्ट

Published : Aug 12, 2025, 05:50 PM IST
Supreme Court  Of india

सार

Supreme Court ने Bihar Voter List Revision मामले में कहा कि अगर अवैधता साबित हुई तो पूरी वोटर लिस्ट रद्द हो सकती है। EC की नागरिकता जांच पर उठे सवाल, विपक्ष ने लगाया BJP से मिलीभगत का आरोप।

Bihar Assembly Election 2025: बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने सिलसिलेवार ढंग से अपनी बात रखी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर 'Special Intensive Revision' प्रक्रिया में अवैधता साबित होती है तो सितंबर तक यानी चुनाव से दो महीने पहले भी पूरी वोटर लिस्ट रद्द की जा सकती है। यह मामला उस विवाद से जुड़ा है, जिसमें Election Commission (EC) ने बिहार के वोटर्स से नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे हैं। विपक्ष का आरोप है कि EC के पास नागरिकता तय करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।

EC पुलिसमैन ऑफ सिटिजनशिप नहीं

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा किआप पांच करोड़ लोगों की नागरिकता पर शक नहीं कर सकते। EC को सिर्फ पहचान सुनिश्चित करनी है, नागरिकता तय करने का अधिकार गृह मंत्रालय के पास है। सिंघवी ने सवाल उठाया कि अगर कोई पहले से वोटर लिस्ट में है, तो EC कैसे तय करेगा कि वह नागरिक है या नहीं।

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बिहार चुनाव के पहले वोटर लिस्ट रिवीजन का मामला क्या है?

  • बिहार में चुनाव आयोग (EC) ने लगभग 8 करोड़ मतदाताओं की दोबारा जांच शुरू की है।
  • EC ने कहा कि आधार कार्ड या वोटर आईडी नागरिकता का पुख्ता सबूत नहीं हैं।
  • इसके लिए 11 तरह के दस्तावेज़ मांगे गए, जिससे विपक्ष ने सवाल उठाए।

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वोटर लिस्ट रिवीजन पर विपक्ष का आरोप

  • RJD सांसद मनोज कुमार झा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "EC के पास नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं, ये गृह मंत्रालय का काम है।"
  • राहुल गांधी और विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया लाखों ग़रीब और हाशिये पर रहने वाले लोगों को वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश है।
  • कांग्रेस ने इसे BJP-EC गठजोड़ बताया, जैसा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में हुआ।

EC का क्या है जवाब?

  • EC का कहना है कि यह प्रक्रिया सिर्फ़ मतदाता सूची शुद्ध करने के लिए है, जिसमें मृत, राज्य छोड़ चुके और डुप्लीकेट नाम हटाए जा रहे हैं।
  • EC के अनुसार, अब तक 65 लाख से ज़्यादा नाम, जिनमें नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश के नागरिक भी शामिल हैं, लिस्ट से हटाए गए हैं।

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