सुप्रीम कोर्ट ने दिया बाइपोलर से ग्रसित व्यक्ति को जज बनाने का आदेश, जानें-क्या और क्यों होती है यह बीमारी

नैन ने दिल्ली न्यायिक सेवा-2018 परीक्षा दिव्यांग श्रेणी के तहत पास की थी। हालांकि, मई 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट प्रशासन ने उनकी उम्मीदवारी इस आधार पर खारिज कर दी थी कि वह अपने मानसिक विकार की वजह से अपने कर्तव्यों का निर्वहन अच्छी तरह से नहीं कर पाएंगे। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2021 12:49 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने ‘बाइपोलर'  (bipolar-disorder) नामक बीमारी से ग्रसित एक व्यक्ति को दिल्ली में न्यायिक अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने सोमवार को कहा कि भव्य नैन दिल्ली की किसी भी जिला अदालत न्यायिक अधिकार संभाल सकते हैं। न्यायाधीश के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में उन्हें कोई बाधा नहीं है। पीठ ने  इस आदेश के लिए एक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को आधार बनाया। इसमें कहा गया है कि इस बारे में कोई संकेत नहीं है कि नैन न्यायिक अधिकारी के तौर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाएंगे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 17 नवंबर 2021 को एक बोर्ड का गठन किया था। नैन 11 वर्ष पहले 25 साल की उम्र में जांच में बाइपोलर विकार से ग्रसित पाए गए थे। 

अशक्त श्रेणी में पास की थी परीक्षा 
नैन ने दिल्ली न्यायिक सेवा-2018 परीक्षा दिव्यांग श्रेणी के तहत पास की थी। हालांकि, मई 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट प्रशासन ने उनकी उम्मीदवारी इस आधार पर खारिज कर दी थी कि वह अपने मानसिक विकार की वजह से अपने कर्तव्यों का निर्वहन अच्छी तरह से नहीं कर पाएंगे। 

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क्या है बाइपोलर 
यह एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें भावनात्मक उतार-चढ़ाव होने सहित मिजाज में अत्यधिक अस्थिरता पैदा होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, यह विकार दुनियाभर में अशक्तता का छठा प्रमुख कारक है। 
इस बीमारी में मन लगातार कई हफ्तों तक या महीनों तक या तो बहुत उदास या फिर अत्यधिक खुश रहता है। उदासी में नकारात्मक और मन में अलग-अलग तरह के विचार आते हैं। यह बीमारी लगभग 100 में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी होती है। बीमारी की शुरुआत अक्सर 14 साल से 19 साल के बीच होती है। यह पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है। यह बीमारी 40 साल के बाद बहुत कम ही शुरु होती है।

बाईपोलर दो प्रकार की होती हैं 
बाईपोलर 1 - इसमें कम से कम एक बार मरीज में अत्यधिक तेजी, अत्यधिक ऊर्जा, अत्यधिक ऊत्तेजना तथा ऊंची ऊंची बाते करने का दौर आता है। इस तरह की तेजी लगभग 3-6 महीने तक रहती है। हालांकि, यह बिना इलाज भी ठीक हो जाता है।  
बाईपोलर 2  - इस प्रकार की बीमारी में मरीज को बार बार उदासी (डिप्रेशन) का प्रभाव आता है। कभी कभार हल्की तेजी भी आ सकती है। 

मानसिक तनाव मुख्य कारण : वैज्ञानिकों का मानना है कि कई बार शारीरिक रोग भी मन में उदासी और तेजी कर सकते हैं। कई बार अत्यधिक मानसिक तनाव इस बीमारी की शुरुआत कर सकता है। इस प्रकार की बीमारी में मरीज को एक साल में कम से कम चार बार उदासी (डिप्रेशन) या मैनिया का असर आता है। 

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