Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट के चुनावी बॉन्ड को रद्द करने के फैसले पर लोगों की आई प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?

ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के CEO अखिलेश मिश्रा ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता पर सवाल करते हुए कहा कि अब SC ने कहा है कि सभी नामों का पूर्वव्यापी तौर पर खुलासा करें। क्या यह दानदाताओं, भारत के नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं है?

चुनावी बॉन्ड। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी) को चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को रद्द कर दिया। कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही SBI से तीन सप्ताह यानी 6 मार्च तक रिपोर्ट देने को कहा है। इस पर ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के CEO अखिलेश मिश्रा ने सवाल उठाया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन दाताओं के कानूनी अधिकारों के बारे में क्या जो अब तक कानूनी गारंटी के तहत काम कर रहे थे? जब दानदाताओं ने ये चुनावी बांड खरीदे, तो उन्हें कानूनी गारंटी दी गई कि उनके नाम का खुलासा नहीं किया जाएगा। उन्होंने दुर्भावनापूर्ण या बिना गलत तरीके से कीचड़ उछालने के डर के बिना दान दिया।

ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के CEO अखिलेश मिश्रा ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता पर सवाल करते हुए कहा कि अब SC ने कहा है कि सभी नामों का पूर्वव्यापी तौर पर खुलासा करें। क्या यह दानदाताओं, भारत के नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं है, जो संप्रभु कानूनी गारंटी के आधार पर काम कर रहे थे। क्या संसद द्वारा बनाई गई कानूनी व्यवस्था की कोई पवित्रता नहीं है? SC कह सकता था कि संभावित रूप से नामों का खुलासा करें। ये ठीक होता क्योंकि किसी भी नए दाता को कानूनी परिणामों के बारे में पता होता। लेकिन नामों की पूर्वव्यापी घोषणा कानूनी दृष्टि से अत्यधिक संदिग्ध है।

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन- SC

बता दें कि प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है। चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। 

इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था। योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है।

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