एक दिन पहले मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि मणिपुर में जो हुआ उसे यह कहकर उचित नहीं ठहराया जा सकता कि यह और कहीं और हुआ।
Supreme Court on Manipur violence: मणिपुर हिंसा पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले दो महीनों से राज्य की संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से चरमरा गई है। एफआईआर दर्ज होने और बयान में काफी देरी की जा रही है। जांच बेहद धीमी और सुस्त है। बेंच की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सोमवार को अगली सुनवाई में मणिपुर के डीजीपी व्यक्ति रूप से कोर्ट में हाजिर हों। एक दिन पहले मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि मणिपुर में जो हुआ उसे यह कहकर उचित नहीं ठहराया जा सकता कि यह और कहीं और हुआ। कड़ी टिप्पणियां करते हुए कोर्ट ने छह सवालों के जवाब मंगलवार तक मांगे थे।
राज्य पुलिस जांच करने में अक्षम
कोर्ट द्वारा मणिपुर में एफआईआर के डिटेल मांगे जाने के बाद मंगलवार को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने 6523 एफआईआर के बारे में जानकारी दी। रिपोर्ट पर गौर करने के बाद सीजेआई ने कहा कि 4 मई को हुई एक घटना के लिए 26 जुलाई को एफआईआर दर्ज की गई थी। एक या दो मामलों को छोड़कर, अन्य मामलों में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच बहुत सुस्त है। एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई है, कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। सीजेआई ने पूछा कि दो महीनों से क्या स्थिति इतनी भी अनुकूल नहीं कि पीड़ितों का बयान तक दर्ज कराया जा सके।
नाराज मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "राज्य पुलिस जांच करने में अक्षम है। उन्होंने नियंत्रण खो दिया है। बिल्कुल भी कानून-व्यवस्था नहीं है... पिछले दो महीनों से मणिपुर में संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से चरमरा गई है।"
सभी मामले सीबीआई को नहीं दे सकते
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि 6,523 एफआईआर के संबंध में अब तक 252 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने सीजेआई को आश्वासन दिया कि सरकार की ओर से कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी और कहा कि केंद्र सभी 11 एफआईआर को सीबीआई को स्थानांतरित करने के लिए तैयार है।
सीजेआई ने कहा कि लगभग 6,500 मामले हैं। हम गंभीर मामलों को देखना चाहते हैं। आप सब कुछ सीबीआई को स्थानांतरित नहीं कर सकते। हमें एक तंत्र बनाना होगा। हिंसा में डेढ़ सौ से अधिक मौतों की रिपोर्ट देखते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट को पर्याप्त डॉक्यूमेंट्स नहीं उपलब्ध कराए गए हैं। राज्य को एफआईआर को कैटेगरीवाइज डिटेलिंग करनी चाहिए कि कितने एफआईआर हत्या, बलात्कार, आगजनी, लूटपाट, अपमान, धार्मिक पूजा स्थलों के विनाश और गंभीर चोट से संबंधित हैं। कोर्ट ने राज्य के डीजीपी को सोमवार को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि घटनाओं के घटित होने की तारीखें; शून्य एफआईआर दर्ज करने की तारीखें; नियमित एफआईआर दर्ज करने की तारीखें; तारीखें जिन पर गवाहों के बयान दर्ज किए गए; वे तारीखें जिन पर 164 बयान दर्ज किए गए हैं; और तारीखें जिन पर गिरफ्तारियां की गईं, की एक डिटेल रिपोर्ट भी बनाकर कोर्ट को दें।
यह भी पढ़ें: