समलैंगिक विवाह: सुप्रीम कोर्ट में गूंजी खजुराहो की दलीलें, सरकार ने राज्यों को पार्टी बनाने की मांग दोहराई, पक्षकार बोले- 'जारी हो आदेश'

समलैंगिक विवाह (Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बहस की गई। यह सुनवाई गुरूवार को भी जारी रहेगी। कोर्ट में पक्ष-विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी दलीलें दीं।

Manoj Kumar | Published : Apr 19, 2023 12:24 PM IST / Updated: Apr 19 2023, 06:15 PM IST

Same Sex Marriage SC. समलैंगिक विवाह (Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बहस की गई। यह सुनवाई गुरूवार को भी जारी रहेगी। कोर्ट में पक्ष-विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि समलैंगिक विवाह को एलीट वर्ग की अवधारणा बताना गलत होगा, क्योंकि सरकार के ऐसा कोई डाटा नहीं है। वहीं भारत सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी इस मामले में पार्टी बनाने की अपील की है।

खजुराहो का दिया गया उदाहरण

समलैंगिक विवाह के पक्ष में एडवोकेट्स ने खजुराहो में बने चित्रों का भी हवाला दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह कहा कि राज्य किसी व्यक्ति के खिलाफ विशेषता के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर सकता। इस मामले को लेकर एक वर्ग में स्वीकार्यता है तो वहीं दूसरा वर्ग पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि 2018 के एक फैसले में समलैंगिक कृत्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। इसके बाद से ही इसे समाज में अधिक स्वीकृति मिली है। हमारे समाज ने समलैंगिक संबंधों का स्वीकार करना शुरू किया है और पिछले 5 साल में काफी कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है।

केंद्र सरकार ने यह बात कही

केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाने की बात कही है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यों से बातचीत शुरू की है। राज्यों को भी पार्टी बनाकर नोटिस जारी किया जाए। यह अच्छा होगा कि राज्यों को भी इस मामले की पूरी जानकारी रहे। वहीं याचिकाकर्ता के वकील मुकुल रोहतगी ने इसका विरोध किया है और कहा कि यह लेटर सिर्फ कल लिखा गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 5 महीने पहले ही नोटिस जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट जारी करे आदेश

मुकुल रोहतगी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करता है तो समाज इसे मानेगा, इसलिए कोर्ट को आदेश जारी कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट हमें समान मानने के लिए समाज पर दबाव डाल सकता है। संविधान भी यही कहता है।

क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट सेम सेक्स मैरिज मामले में दायर करीब 15 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह कवायद की जा रही है। कोर्ट और संसद ही इस पर फैसला करेंग। इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध कर रही है।

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