शादी की मान्यता की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दो गे जोड़ा, अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा-क्या है आपकी राय

दो गे कपल्स ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी रजिस्टर्ड किए जाने की गुहार लगाई है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 25, 2022 1:41 PM IST

नई दिल्ली। शादी को मान्यता दिए जाने की मांग लेकर दो गे जोड़ा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। गे जोड़ों की मांग है कि उनकी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड किया जाए। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र सरकार से उसका राय पूछा है। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है।

दरअसल, चार साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ(जो उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थी, जिसने 2018 में सहमति से समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था) ने केंद्र को नोटिस जारी किया। पीठ ने याचिकाओं से निपटने में भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी की सहायता मांगी।

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गे कपल्स की ओर से पेश हुए सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह मुद्दा नवतेज सिंह जौहर और पुट्टास्वामी के फैसलों (समलैंगिक सेक्स और निजता के अधिकार के फैसले) की अगली कड़ी है। यह एक जीवित मुद्दा है न कि संपत्ति का मुद्दा। हम यहां केवल विशेष विवाह अधिनियम के बारे में बात कर रहे हैं।

6 सितंबर 2018 को कोर्ट ने कहा था-समलैंगिक संबंध नहीं अपराध
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संविधान पीठ ने 6 सितंबर 2018 को सर्वसम्मति से समलैंगिकों के बीच बनने वाले यौन संबंध को लेकर फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अंग्रेजों के जमाने के उस कानून के एक हिस्से को खत्म कर दिया था, जिसके अनुसार वयस्क समलैंगिकों या विषमलैंगिकों द्वारा यौन संबंध बनाना अपराध था।

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कोर्ट ने कहा था कि निजी स्थान पर आपसी सहमति से वयस्क समलैंगिकों या विषमलैंगिकों के बीच बने यौन संबंध अपराध नहीं है। कोर्ट का मानना था कि सहमति से बनाए जाने वाले यौन संबंध को अपराध बताना समानता और सम्मान के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।

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