इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा साझा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकारा। कोर्ट ने 18 मार्च को अगली सुनवाई में एसबीआई को यह बताने के लिए कहा कि उसने चूक क्यों की है।
Electoral Data case: सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर भारतीय स्टेट बैंक को फटकार खानी पड़ी। इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा साझा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकारा। दरअसल, कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द करने के साथ बैंक को पिछले पांच साल में राजनैतिक दलों को मिले चंदे का सभी डिटेल साझा करने का आदेश दिया था। लेकिन काफी ना-नुकुर के बाद एसबीआई ने अवमानना के खौफ में डिटेल चुनाव आयोग को सौंपे। हालांकि, अभी भी डिटेल्स साझा करने में काफी डॉक्यूमेंट्स मिसिंग है। कोर्ट ने 18 मार्च को अगली सुनवाई में एसबीआई को यह बताने के लिए कहा कि उसने चूक क्यों की है।
डेटा अधूरा है...अन्य डेटा भी तत्काल उपलब्ध कराएं
चुनाव आयोग की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराया गया डेटा अधूरा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एसबीआई को पहले से साझा किए गए विवरणों के अलावा चुनावी बांड संख्या का भी खुलासा करने का निर्देश दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई की शुरुआत में कहा: भारतीय स्टेट बैंक की ओर से कौन पेश हो रहा है? उन्होंने बांड संख्या का खुलासा नहीं किया है। इसका खुलासा भारतीय स्टेट बैंक को करना होगा।
एसबीआई को सुप्रीम कोर्ट ने दिया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एसबीआई को नोटिस देकर बैंक से 18 मार्च को अगली सुनवाई के दौरान आधा अधूरा डेटा सौंपने के दौरान की गई चूक के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा है। दरअसल, चुनावी बॉन्ड संख्या नहीं देने की वजह से दानदाताओं और राजनैतिक दलों के बीच संबंध स्थापित करने में काफी कठिनाई होगी। एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड संख्या ही नहीं दिया है।
क्या है चुनावी बॉन्ड योजना?
चुनावी बांड के द्वारा कोई भी व्यक्ति या व्यवसायी या कंपनी, अपना नाम उजागर किए बिना राजनीतिक दलों को दान दे सकता है। 2018 में भाजपा सरकार द्वारा नकद दान के विकल्प के रूप में इलेक्टोरल बॉन्ड को पेश किया था।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इस इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया था। साथ ही कोर्ट ने एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड का सारा डेटा, चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दिया था ताकि दान का सारा विवरण चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। हालांकि, एसबीआई डेटा देने में आनाकानी करता रहा। बीते दिनों समयसीमा समाप्त होने के पहले एसबीआई ने तीन महीने की मोहलत मांगी तो सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए 24 घंटे के भीतर सारा डिटेल देने को कहा था। अवमानना के डर में एसबीआई ने डिटेल चुनाव आयोग को सौंपा। आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर पूरा डिटेल अपलोड कर दिया लेकिन एसबीआई की अधूरी जानकारी की वजह से किसको कौन दान दिया, यह संबंध स्थापित करने में दिक्कत हो रही है। दरअसल, एसबीआई ने बॉन्ड नंबर ही उपलब्ध नहीं कराया है।
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