सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नौसेना से रिटायर हो चुके एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज INS विराट को तोड़ने पर रोक लगा दी। आईएनएस विराट को गुजरात के श्रीराम ग्रुप ने खरीदा था, इसे कबाड़ के तौर पर तोड़ा जा रहा है। इसके बाद एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड कंपनी ने 100 करोड़ रुपए का भुगतान कर आईएनएस विराट को संग्रहालय में संरक्षित करने की मांग की है।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नौसेना से रिटायर हो चुके एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज INS विराट को तोड़ने पर रोक लगा दी। आईएनएस विराट को गुजरात के श्रीराम ग्रुप ने खरीदा था, इसे कबाड़ के तौर पर तोड़ा जा रहा है। इसके बाद एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड कंपनी ने 100 करोड़ रुपए का भुगतान कर आईएनएस विराट को संग्रहालय में संरक्षित करने की मांग की है।
आईएनएस विराट ने करीब 30 साल तक भारतीय नेवी में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद मार्च 2017 में यह नेवी से रिटायर हो गया। इससे पहले ये पोत ब्रिटेन की रॉयल नेवी में 25 साल तक अपनी सेवाएं दे चुका। इसका नाम एचएमएस हर्मिस था। इसके बाद 1987 में इसे आईएनएस विराट के तौर पर भारतीय नौसेना में शामिल किया।
कई ऑपरेशन्स में निभाई अहम भूमिका
आईएनएस विराट ने भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद 1989 में ऑपरेशन जूपिटर में श्रीलंका में शांति स्थापना के ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में भूमिका निभाई। आईएनएस विराट ने दुनिया के 27 चक्कर लगाए।
चलते फिरते शहर की तरह था आईएनएस विराट
INS विराट में लाइब्रेरी, जिम, स्टूडियो, अस्पताल, डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं। रिटायर होने से पहले आईएनएस विराट ने आखिरी यात्रा मुंबई से कोच्चि के बीच की थी। विराट एक बार में 90 दिन तक बंदरगाह पर लौटे बिना दुश्मनों की नापाक हरकतों पर नजर रखने में सक्षम था।