इलेक्ट्रिक कार मालिकों को आखिर क्यों हो रहा पछतावा? पढ़ें चौंकाने वाला खुलासा

हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। पार्क+ द्वारा किए गए इस सर्वे में पाया गया है कि भारत में 51% से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन मालिक पेट्रोल या डीजल वाहनों पर वापस जाना चाहते हैं।

Sushil Tiwari | Published : Aug 10, 2024 1:21 PM IST

पिछले कुछ वर्षों में, नए कार खरीदारों के बीच ईवी, यानी इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन तेजी से बढ़ा है। पिछले कुछ महीनों में कार बिक्री पर भी इसका प्रभाव देखा गया है। देश की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ईवी सेगमेंट में अग्रणी बनकर उभरी है। हालांकि, पिछले जुलाई में टाटा को भी बड़ा झटका लगा। अब एक सर्वे रिपोर्ट ने भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों के मन की बात सामने रखी है और भारत में ईवी बाजार के भविष्य पर एक सवालिया निशान लगा दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में 51% से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन मालिक पेट्रोल या डीजल वाहनों पर वापस जाना चाहते हैं। 

लगभग 1.5 करोड़ कारों और 25,000 से अधिक ई-कार मालिकों को होस्ट करने वाले एक प्लेटफॉर्म पार्क प्लस द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। पार्क प्लस भारतीय शहरों में आवासीय और व्यावसायिक परिसरों में पार्किंग समाधान प्रदान करने वाला एक प्लेटफॉर्म है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में कुल 51% ईवी कार मालिक फिर से पेट्रोल या डीजल वाहनों का उपयोग करना चाहते हैं। यह सर्वे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में ईवी कार मालिकों पर किया गया था। इस अध्ययन का उद्देश्य भारत के उभरते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) बाजार में ई-कार मालिकों की भावनाओं को समझना था। आईसीई कार मालिकों की तुलना में ई-कार मालिकों में संतुष्टि का स्तर आम तौर पर कम पाया गया। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 4W EV मालिकों में से 51% दूसरी ईवी खरीदने पर विचार नहीं कर रहे हैं और इसके बजाय आईसीई वाहनों पर वापस जाना पसंद करेंगे। 

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सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि औसतन, इलेक्ट्रिक वाहन मालिक पारंपरिक आईसीई (पेट्रोल-डीजल) वाहन मालिकों की तुलना में कम संतुष्ट हैं। इसके लिए कई लोग इलेक्ट्रिक कारों से जुड़ी विभिन्न प्रकार की दैनिक समस्याओं को इंगित करते हैं। इनमें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, रखरखाव, रेंज की चिंता, पुनर्विक्रय मूल्य और उच्च लागत जैसे कई पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, 88% लोगों ने कार चार्ज करने की सुविधा को लेकर चिंता व्यक्त की है। हालाँकि, देश भर में 20,000 से अधिक ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं, लेकिन इस सर्वेक्षण में शामिल उत्तरदाताओं ने इन चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता और पारदर्शिता पर निराशा व्यक्त की। अधिकांश लोगों का कहना है कि एक सुरक्षित और सक्रिय चार्जिंग स्टेशन ढूंढना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। 

प्रमुख ईवी कार कंपनियां लगातार दावा करती रही हैं कि पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक कारों में पुर्जे कम होते हैं। इससे घिसाव कम होता है और रखरखाव आसान होता है। लेकिन यह सर्वेक्षण दावा करता है कि लगभग 73% इलेक्ट्रिक कार मालिक रखरखाव को एक बड़ी समस्या मानते हैं। उनका मानना है कि उनकी इलेक्ट्रिक कारें अक्सर "ब्लैक बॉक्स" जैसी होती हैं। यानी छोटी-मोटी समस्याओं को भी स्थानीय मैकेनिक ठीक नहीं कर पा रहे हैं, यही सबसे बड़ी समस्या है, कई मालिक बताते हैं। कई इलेक्ट्रिक कार मालिकों ने मरम्मत की दुकानों के सीमित विकल्पों और मरम्मत लागत के बारे में स्पष्ट जानकारी की कमी पर भी निराशा व्यक्त की।

इस सर्वे में इलेक्ट्रिक वाहनों का पुनर्विक्रय मूल्य भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। लगभग 33% लोगों ने प्रतिक्रिया दी कि जब उन्होंने अपनी मौजूदा इलेक्ट्रिक कार का पुनर्विक्रय मूल्य चेक किया, तो उन्हें उम्मीद से बहुत कम राशि की पेशकश की गई। अन्य पेट्रोल-डीजल वाहनों का पुनर्विक्रय मूल्य उनके मेक मॉडल, माइलेज या रनिंग पीरियड के आधार पर आसानी से आंका जा सकता है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में ऐसा नहीं है, क्योंकि ईवी से हर कोई परिचित नहीं है और बैटरी लाइफ के आधार पर उनके पुनर्विक्रय मूल्य का आकलन करना थोड़ा मुश्किल है। किसी भी ईवी की बैटरी की कीमत वाहन की कुल लागत का लगभग 40% होती है।

इस सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टाटा की नेक्सॉन ईवी लोगों के बीच सबसे लोकप्रिय है। लगभग 61% लोगों ने इस एसयूवी को वोट दिया। 19% लोगों ने टाटा पंच ईवी को अपनी दूसरी पसंद के रूप में वोट दिया। इसके अलावा बाजार में उपलब्ध अन्य मॉडलों को भी चुना गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में सालाना आधार पर 7% की गिरावट आई है। वहीं, ईवी सेगमेंट की लीडर कही जाने वाली टाटा मोटर्स की बिक्री में पिछले जुलाई में 21% की गिरावट आई है। कंपनी ने जुलाई में घरेलू बाजार में कुल 5,027 इलेक्ट्रिक कारें बेचीं। जो पिछले साल जुलाई में बिकी 6,329 यूनिट्स से काफी कम है।

वहीं, दुनिया भर में इलेक्ट्रिक कार मालिकों के असंतोष को उजागर करने वाला यह पहला सर्वेक्षण नहीं है। पिछले साल यूरोप से आई एक सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि इलेक्ट्रिक कार खरीदने वाले बहुत से लोग अपनी पसंद से खुश नहीं हैं। ईवी चार्जिंग स्टेशनों में विशेषज्ञता रखने वाले एक डेनिश स्टार्टअप मोंट द्वारा बहुराष्ट्रीय बाजार विश्लेषण परामर्श फर्म यूगोव के सहयोग से 2023 में फ्रांस में किए गए एक अध्ययन में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई थी। 

इस सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों ने खुलासा किया कि काश उन्होंने ईवी खरीदने के बजाय कोई और फैसला लिया होता। अगस्त 2023 में आए इस सर्वेक्षण से पता चला है कि कई मालिकों को अपनी खरीद पर संदेह है। इस सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि 54% इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों ने स्वीकार किया कि उन्हें बिजली की बढ़ती कीमतों के कारण अपनी खरीद पर पछतावा है। बताए गए अन्य कारकों में पारदर्शिता की कमी शामिल है। यानी ईवी के मालिक होने की वास्तविक लागत को लेकर पारदर्शिता का अभाव है। कई लोगों का कहना है कि गाड़ी खरीदने के बाद ही असली खर्चे का पता चलता है। सबसे अच्छे टैरिफ कहां मिलेंगे, यह जानने में कठिनाई और खंडित बाजार के कारण विभिन्न ऐप डाउनलोड करने की आवश्यकता ने भी कई वाहन मालिकों को निराश किया है। रेंज की चिंता और पारंपरिक पेट्रोल और डीजल कारों की तुलना में आम तौर पर खरीदने में अधिक महंगी होने के कारण कई मौजूदा मालिक संभावित खरीदारों को इलेक्ट्रिक कार खरीदने से हतोत्साहित कर रहे हैं।

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