कैसा है राम लला के माथे पर चमकने वाला सूर्य तिलक? हर रामनवमी को 12 बजे होगा चमत्कार

राम मंदिर में विराजमान राम लला के माथे पर सूर्य तिलक बना है। यह बेहद खास इसलिए है क्योंकि इसे दर्पण और लेंस सिस्टम की मदद से वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। प्रत्येक राम नवमी के दिन इस सूर्य तिलक की महिमा देखने को मिलेगी।

 

Ram Lalla Idol. सरकार संस्थान सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने राम लला की मूर्ति के लिए सूर्य तिलक तैयार किया है। इसकी खासियत यह है कि हर रामनवमी को दोपहर के समय सूर्य की किरणें सीधे रामलला के माथे पर पड़ेंगी। यह विशेष तौर पर लेंस और दर्पण के सिस्टम से तैयार किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रत्येक रामनवमी को अचल राम लला के माथे पर सूर्य की सटीक किरणें पड़ेंगी। जिससे मूर्ति और भी भव्य व दिव्य दिखाई देगी। इस आधिकारिक तौर पर सूर्य तिलक तंत्र कहा जाता है।

वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती

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सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रूड़की के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार रामंचरला कहते हैं कि जब पूर्ण मंदिर का निर्माण हो जाएगा तो सूर्य तिलक तंत्र पूरी तरह से चालू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इसे आधिकारिक तौर पर 'सूर्य तिलक तंत्र' कहा जाता है। इसे सही तरीके से तैयार करना वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग चुनौती थी। सीबीआरआई भारत का शीर्ष संस्थान है, जो वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) का भी हिस्सा है। डॉ. रमनचरला ने बताया कि फिलहाल केवल पहली मंजिल तक का ढांचा ही बनाया गया है। गर्भ गृह और ग्राउंड फ्लोर में लगाए जाने वाले सभी उपकरण तैयार कर लिए गए हैं।

6 मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान के माथे पर

सूर्य तिलक तंत्र को सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस तरह से डिजाइन किया है कि हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे से लगभग 6 मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। इसके लिए गियरबॉक्स और परावर्तक दर्पण सहित लेंस का इस्तेमाल किया गया हैष। तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को सूर्य के पथ के सिद्धांतों के सहारे गर्भ गृह तक लाया जाएगा। 

 

 

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) बेंगलुरु ने सूर्य के पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की और बेंगलुरु स्थित कंपनी ऑप्टिका लेंस और पीतल ट्यूब भी निर्माण में शामिल है। इस डिवाइस का निर्माण और इंस्टालेशन ऑप्टिका के एमडी राजेंद्र कोटारिया द्वारा किया गया। सीबीआरआई की टीम का नेतृत्व डॉ. एसके पाणिग्रही के साथ डॉ. आरएस बिष्ट, कांति लाल सोलंकी, वी चक्रधर, दिनेश और समीर ने किया। राम मंदिर के डिजाइन में मदद करने वाले सीबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान कहते हैं कि शत-प्रतिशत सूर्य तिलक राम लला की मूर्ति के माथे पर अभिषेक करेगा।

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