जेपी आंदोलन के उपज थे BJP के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी, जानें कैसा रहा सियासी सफर

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी की आज सोमवार (13 मई) को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वो पिछले 6 महीने से गले के कैंसर से पीड़ित थे।

sourav kumar | Published : May 14, 2024 4:03 AM IST

सुशील कुमार मोदी की सियासत। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी की आज सोमवार (13 मई) को  72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वो पिछले 6 महीने से गले के कैंसर से पीड़ित थे। इसकी वजह से उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार-प्रसार में भी भाग लेने से मना कर दिया था। उनका इलाज देश के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में चल रहा था। 

उनकी निधन के खबर सुनकर राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है। देश और राज्य के बड़े-बड़े नेता सुशील कुमार मोदी के निधन पर शोक जता रहे हैं। आपको बता दें कि सुशील कुमार मोदी भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति थे। वे विशेष रूप से बीजेपी से जुड़े हुए थे। उनका जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना में मोती लाल मोदी और रत्ना देवी के घर हुआ था।

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राजनीति करियर की बात करें तो सुशील कुमारी का सियासी सफर साल 1970 में ही शुरू हो गया था। वो उस वक्त एक छात्र नेता के रूप में उभरे थे। साल 1973 से लेकर 1977 तक वो पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव और कैबिनेट सदस्य के रूप में काम किया। हालांकि, इस दौरान उन्होंने साल 1974 में बिहार के सबसे बड़े आंदोलन जयप्रकाश नारायण (जेपी)  में भाग लिया था। 

इस दौरान देश में लगी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के द्वारा लगाए गए इमरजेंसी की वजह से जेल की हवा भी खानी पड़ी थी। बिहार की राजनीति के अलावा उन्होंने अपना दायरा राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ाया और राम जन्मभूमि आंदोलन और विदेशी घुसपैठ विरोधी असम आंदोलन जैसे आंदोलनों में बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लिया।

 ये भी पढ़ें: पार्टी के मजबूत स्तंभ और मिलनसार व्यक्तित्व वाले थे सुशील मोदी, पीएम समेत कई राजनेता शोक में

सुशील कुमार मोदी की मुख्यधारा की राजनीति

सुशील मोदी ने मुख्यधारा की राजनीति में घुसते ही भाजपा के साथ जुड़े। उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और बिहार प्रदेश अध्यक्ष के रूप में काम किया। 1996 से भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनका नेतृत्व पार्टी के विकास के प्रति उनका समर्पण देखने को मिला। उन्हें 1990 से 2004 तक तीन बार बिहार विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया। 2004 से 2005 तक और 2000 में राज्य सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में काम किया।

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