tableaux politics : ममता ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल की झांकी को रिजेक्ट कर सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और बंगाल के लोगों का अपमान किया है। इसके जवाब में राजनाथ ने मंगलवार को ममता बनर्जी को एक पत्र लिखा है।
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस (Republic day) की परेड में पश्चिम बंगाल (West Bengal) की झांकी शामिल नहीं करने को लेकर ममता बनर्जी और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के पत्र का जवाब केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया है। ममता ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल की झांकी को रिजेक्ट कर सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और बंगाल के लोगों का अपमान किया है। इसके जवाब में राजनाथ ने मंगलवार को ममता बनर्जी को एक पत्र लिखा है। राजनाथ ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को भी उनके पत्र का जवाब दिया है। उन्होंने बताया है कि 2017, 2019, 2020 और 2021 में तमिलनाडु की झांकियों को इसी प्रक्रिया की तरह परेड में शामिल किया गया था।
अब 23 जनवरी से शुरू होगा गणतंत्र दिवस समारोह
उन्होंने कहा कि आपको बताना चाहूंगा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान हर भारतीय के लिए अविस्मरणीय है। इसी भावना को सर्वोपरि रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी के दिन को पराक्रम दिवस के रूप में घोषित किया है। अब से हर बार गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत नेताजी के जन्मदिवस 23 जनवरी से शुरू होकर 30 जनवरी को समाप्त होगा। उन्होंने पत्र में कहा है कि मोदी सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस और पश्चिम बंगाल के सभी स्वाधीनता सेनानियों के प्रति कृतज्ञ है।
पारदर्शी प्रक्रिया से होता है झांकियों का चयन
राजनाथ ने कहा कि मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेने वाली झांकियों की चयन प्रक्रिया बहुत ही पारदर्शी है। कला संस्कृति, संगीत और नृत्य विद्याओं के प्रख्यात विद्वानों की समिति राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों के प्रस्तावों के कई दौर में मूल्यांकन के बाद इनकी अनुसंशा करती है। इसी चयन प्रक्रिया के तहत पश्चिम बंगाल राज्य की झांकी को 2016, 2017, 2019 और 2021 में भी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं और इसीलिए व्यक्तिगत रूप से आपको जानकारी देना चाहता हूं कि इस बार 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों में 12 को मंजूरी दी गई है।
नेताजी की जयंती को प्रमुखता दे रहा है देश
राजनाथ ने बताया कि हमारी सरकार ने 1943 में नेताजी के नेतृत्व में बनी भारत की निर्वासित सरकार की 75वीं वर्षगांठ 2018 में भव्य रूप से मनाई थी और गणतंत्र दिवस परेड में आजाद हिंद फौज के जीवित सेनानियों को शामिल कर सम्मानित भी किया था। यहं एक और तथ्य से अवगत कराना चाहूंगा कि इस बार CPW की झांकी में भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पति की गई है। यह इस तथ्य का साक्षी है कि देश द्वारा महान नेता सुभाष चंद्र बोस की जयंती को प्रमुखता दी जा रही है। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में गणतंत्र दिवस का यह पर्व केंद्र और सभी राज्यों के लिए एक अति विशिष्ट अवसर है। मुझे आशा है कि उक्त तथ्यों से आपकी शंका निवारण हो गया होगा और आपता महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक सहयोग गणतंत्र इस पावन अनुष्ठान के सफल आयोजन में अपना सक्रिय योगदान देगा।