सरकारी अस्पतालों में नकली एंटीबायोटिक्स की सप्लाई, दवा की जगह भरा टैल्कम पाउडर

Published : Sep 24, 2024, 11:32 AM ISTUpdated : Sep 24, 2024, 12:03 PM IST
Fake Medicine

सार

महाराष्ट्र के नागपुर के सरकारी अस्पतालों में स्टार्च और टैल्कम पाउडर से बने नकली एंटीबायोटिक्स सप्लाई किए जा रहे थे। यह खुलासा 1,200 पेज की चार्जशीट से हुआ है, जिसमें हवाला के जरिए पैसे के लेनदेन का भी खुलासा हुआ है।

नई दिल्ली। सरकारी अस्पतालों में नकली दवा की सप्लाई के बड़े मामले का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि महाराष्ट्र के नागपुर के सरकारी अस्पतालों में दिए गए एंटीबायोटिक्स स्टार्च और टैल्कम पाउडर मिलाकर बनाए गए थे। यह खुलासा नकली दवा आपूर्ति मामले में दायर 1,200 पेज की चार्जशीट से हुआ है।

चार्जशीट के अनुसार नकली एंटीबायोटिक्स हरिद्वार के एक लैब में बनाए गए थे। यहां जानवरों के इलाज के लिए दवाएं बनाई जाती हैं। यहां तैयार की गई नकली दवाइयों की सप्लाई महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और झारखंड के अस्पतालों सहित पूरे भारत में की गई थी। नकली दवाइयां बनाने और बेचने के धंधेबाजों ने पैसे की लेनदेन हवाला चैनलों के माध्यम से की। गिरोह के लोगों ने मुंबई से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर तक लाखों डॉलर भेजे।

हेमंत मुले है नकली दवाइयों की सप्लाई का मुख्य आरोपी

हेमंत मुले नकली दवाइयों की सप्लाई मामले में मुख्य आरोपी है। इसने सरकारी अस्पतालों द्वारा जारी टेंडर में भाग लिया था। इसके अलावा मिहिर त्रिवेदी और विजय चौधरी भी आरोपी हैं। ये दोनों पहले से एक अन्य धोखाधड़ी मामले में जेल में हैं। सहारनपुर के रॉबिन तनेजा उर्फ ​​हिमांशु और उसका भाई रमन तनेजा भी इस काले धंधे से जुड़े हुए थे। इन्हें भी आरोपी बनाया गया है।

इस मामले में आईपीएस अधिकारी अनिल म्हस्के ने कहा कि तनेजा बंधुओं ने अमित धीमान का नाम बताया था। इसके बाद हम हरिद्वार स्थित उसकी लैब में पहुंचे। धीमान को उत्तराखंड एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। वह जेल में है। उसे नकली दवाओं के मामले में भी गिरफ्तार किया गया है।"

कैसे हुआ नकली दवा मामले का भंडाफोड़?

महाराष्ट्र के FDA (Food and Drug Administration) ने दिसंबर 2023 में नकली दवा बनाने और सप्लाई करने वाले इस रैकेट का भंडाफोड़ किया था। इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (IGGMCH) की दुकानों से नागपुर सिविल सर्जन के नेतृत्व में लगभग 21,600 सिप्रोफ्लोक्सासिन 500 मिलीग्राम की गोलियां जब्त की गईं थी। दवाओं के सैंपल की जांच के बाद FDA ने कहा था कि इनमें औषधीय गुण नहीं हैं। दवाएं पूरी तरह नकली हैं।

मूत्र मार्ग में संक्रमण से लेकर निमोनिया तक के बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए बनाई गई एंटीबायोटिक गोलियां 2022 और 2023 में जिले भर के सरकारी सिविल अस्पतालों में बांटी गईं थीं।

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