तमिलनाडु विधानसभा ने 2020 से 2023 के बीच सदन में दो-दो विधेयकों को पास किया था। पिछले साल छह अन्य विधेयकों को को पारित किया गया था।
चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा ने शनिवार को 10 विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इन विधेयकों को विधानसभा ने मंजूरी दी थी लेकिन राज्यपाल आरएन रवि ने उन बिलों को लौटा दिया था। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सभी 10 बिलों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रस्ताव सदन में पेश किया। राज्य सरकार ने बताया कि राज्यपाल आरएन रवि ने बिना कोई कारण बताए ही बिलों को वापस भेज दिया था।
तीन सालों में इन विधेयकों को किया पास
तमिलनाडु विधानसभा ने 2020 से 2023 के बीच सदन में दो-दो विधेयकों को पास किया था। पिछले साल छह अन्य विधेयकों को को पारित किया गया था। विधेयक का उद्देश्य राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को चांसलर के पद पर पदोन्नत करके राज्यपाल की शक्तियों में कटौती करना है। स्टालिन ने आरएन रवि पर तीखा हमला करते हुए विधानसभा में कहा कि बिना किसी कारण के सहमति रोकना अस्वीकार्य है।
सदन में विधेयकों को पुनर्जीवित करने का रखा प्रस्ताव
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन में कहा कि राज्यपाल ने अपनी व्यक्तिगत सनक और चाहत के कारण बिल लौटाए। सहमति न देना अलोकतांत्रिक और जनविरोधी है। उन्होंने कहा कि अगर विधानसभा में विधेयक दोबारा पारित किया जाता है और राज्यपाल के पास भेजा जाता है तो वह सहमति नहीं रोक सकते। स्टालिन ने यह भी आरोप लगाया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों को राज्यपालों के माध्यम से जाहिर तौर पर केंद्र द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।
विधेयकों को रोके जाने पर कोर्ट ने लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपालों द्वारा की जा रही देरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को नसीहत देते हुए आग न खेले जाने की हिदायत दी थी।
सरकार और राज्यपाल में चल रहा टकराव
पिछले कुछ महीनों से डीएमके सरकार और तमिलनाडु के राज्यपाल के बीच टकराव चल रहा है। राज्यपाल आरएन रवि ने 4 जनवरी को चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी टिप्पणी से राज्य के नाम पर बहस छेड़ दी थी।
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