जे.जयललिता की मौत की जांच रिटायर्ड जस्टिस ए.अरुमुघस्वामी का पैनल कर रहा था। अरुमुघस्वामी की 450 पन्नों की रिपोर्ट तमिलनाडु विधानसभा में पेश की गई है। इस एक सदस्यीय आयोग की स्थापना पांच साल पहले 2017 में, एडप्पाडी पलानीसामी और ओ पनीरसेल्वम गुट के बीच विलय के बाद हुई थी।
Jayalalitha death investigation report: तमिलनाडु की सरकार ने पूर्व सीएम जे.जयललिता की मौत की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दी है। जयललिता की मौत के पीछे सबसे करीबी सहेली वीके शशिकला, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी विजय भास्कर और शशिकला के भतीजा डॉ.शिवकुमार की भूमिका पर संदेह जताया गया है। मौत की जांच कर रहे पैनल ने रिपोर्ट दी है।
450 पन्नों वाली रिपोर्ट से राज्य की राजनीति गरमाई
दरअसल, जे.जयललिता की मौत की जांच रिटायर्ड जस्टिस ए.अरुमुघस्वामी का पैनल कर रहा था। अरुमुघस्वामी की 450 पन्नों की रिपोर्ट तमिलनाडु विधानसभा में पेश की गई है। इस एक सदस्यीय आयोग की स्थापना पांच साल पहले 2017 में, एडप्पाडी पलानीसामी और ओ पनीरसेल्वम गुट के बीच विलय के बाद हुई थी। आयोग ने अपनी जांच के दौरान तमाम लोगों से पूछताछ की है। शशिकला ने बेंगलुरू जेल से आयोग को पत्र लिखकर जयललिता के साथ किए जा रहे व्यवहार के संबंध में उसके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए थे।
आयोग ने नहीं माना नेचुरल डेथ
आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि जयललिता और शशिकला के बीच अच्छे रिश्ते नहीं थे। अम्मा की मौत को नेचुरल डेथ की बजाय इसे क्राइम मानकर जांच कराई जाए। कमेटी ने उनकी मौत की डिटेल इन्वेस्टिगेशन की सिफारिश भी की है। बता दें कि 5 दिसंबर 2016 को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में जयललिता का निधन हो गया था। वे करीब 2 महीने तक अस्पताल में भर्ती रही थीं। मौत की वजह हार्ट अटैक बताया गया था। उनकी मौत सीएम रहते हुई थी। जयललिता के बीमार पड़ने से उनका निधन होने तक शशिकला उनके साथ मौजूद थीं।
आयोग ने आरोप लगाया कि शशिकला ने जयललिता के स्वास्थ्य पर फर्जी बयान जारी किया। अरुमुगासामी आयोग ने दावा किया कि डॉ रिचर्ड बीले ने सिफारिश की थी कि जयललिता को इलाज के लिए विदेश ले जाया जाए लेकिन शशिकला ने कथित तौर पर इसे रोक दिया। रिपोर्ट में जयललिता को एंजियोग्राफी कराने से कथित रूप से रोकने के पीछे शशिकला की मंशा पर भी सवाल उठाया गया था। अरुमुघस्वामी की रिपोर्ट में शशिकला और अन्य द्वारा बताए गए संस्करणों में विसंगतियों का भी उल्लेख किया गया है। अरुमुघस्वामी आयोग की रिपोर्ट ने सिफारिश की कि जयललिता के अंतिम क्षणों में उनके आसपास मौजूद कुछ लोगों की जांच के लिए जांच की जानी चाहिए।
यह भी पढ़ें:
दिल्ली दंगों के आरोपी जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार