सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव तरुण तेजपाल की बंद कमरे में सुनवाई वाली याचिका से हुए अलग, बताई ये वजह

Tarun tejpal case : जस्टिस राव 2015 में इस मामले में गोवा सरकार की तरफ से पेश हुए थे। तब वह वरिष्ठ वकील थे। उन्होंने कहा कि मैं राज्य की तरफ से इस मामले में 2015 में पेश हुआ था। इसलिए इसे किसी अन्य कोर्ट में सूचीबद्ध कराना चाहिए। 
 

मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एल नागेश्वर राव (L Nageswara Rao)ने तहलका पत्रिका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। गोवा सरकार ने यौन उत्पीड़न के मामले में उन्हें बरी करने के खिलाफ याचिका दायर की थी। तेजपाल यह इस अपील की बंद कमरे में सुनवाई की मांग कर रहे थे। 

शुक्रवार को जस्टिस राव की बेंच में आया मामला 
मामला शुक्रवार को जस्टिस राव और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ के समक्ष रखा गया था। इसके बाद जस्टिस राव ने मामले से हटने का फैसला किया था। दरअसल, राव 2015 में इस मामले में गोवा सरकार की तरफ से पेश हुए थे। तब वह वरिष्ठ वकील थे। उन्होंने कहा कि मैं राज्य की तरफ से इस मामले में 2015 में पेश हुआ था। इसलिए इसे किसी अन्य कोर्ट के पास ले जाना चाहिए। 

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तरुण तेजपाल ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के मामलों में बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम पटेल के हालिया आदेश का हवाला देते हुए मामले की बंद कमरे में सुनवाई की मांग की है। तेजपाल की दलील थी कि हर पार्टी को अपना पक्ष उचित तरीके से रखने का अधिकार है। याचिका में कहा गया है कि यह सही नहीं होगा कि वकीलों को इस इस वजह से अपनी दलीलों को कम करना पड़े कि कुछ प्रकाशन बिना मर्जी कुछ भी छाप देंगे। तेजपाल ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 327 अब केवल एक वैधानिक दायित्व नहीं है, बल्कि एक मौलिक अधिकार बन गया है।

तेजपाल को बरी करने के खिलाफ गोवा सरकार पहुंची है हाईकोर्ट
पिछले साल 21 मई को एक निचली अदालत ने तेजपाल को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया था। इस मामले में उनकी महिला सहयोगी ने यौन उत्पीड़न और रेप जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। तेजपाल को बरी करने के आदेश को गोवा सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अपील में कहा गया था कि इस फैसले के बाद पीड़ता को लगने वाले आघात, उसके चरित्र पर पर उठाए गए सवालों पर अदालत ने ध्यान नहीं दिया। अदालत ने पीड़िता के सबूतों को नजरअंदाज किया गया। सरकार ने यह भी कहा कि अदालत ने बचाव पक्ष के सभी सबूतों को सच माना जबिक पीड़िता के सबसे अहम सबूत, माफी वाले ई-मेल को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद तेजपाल ने इन कैमरा हियरिंग के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी थी।

लिफ्ट में रेप का आरोप
58 साल के पूर्व पत्रकार पर 2013 में एक फाइव स्टार होटल की लिफ्ट में तहलिका मैगजीन के ही एक इवेंट के दौरान सहकर्मी के साथ रेप करने का आरोप लगाया गया था। शिकायतकर्ता के अनुसार, तेजपाल ने 7 नवंबर 2013 को होटल की लिफ्ट में महिला के साथ दुष्कर्म किया और अगले दिन फिर से उसका शोषण करने की कोशिश की। तेजपाल ने अदालत में इन आरोपों का खंडन किया और बाद में उन्हें बरी कर दिया गया। 

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