Supreme Court का बड़ा फैसला, संयुक्त परिवार में भी पिता की संपत्ति पर बेटी का अधिकार चचेरे भाइयों से अधिक

Supreme court verdict : यह फैसला तमिलनाडु के एक मामले में सामने आया। इस मामले में पिता की मृत्यु 1949 में हो गई थी। उन्होंने अपनी कमाई हुई और बंटवारे में मिली संपत्ति की कोई वसीयत नहीं की थी। मद्रास हाई कोर्ट ने पिता के संयुक्त परिवार में रहने के चलते उनकी संपत्ति पर उनके भाई के बेटों को अधिकार दिया था। 

नई दिल्ली। पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि संयुक्त परिवार में रह रहे किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है और उसने वसीयत नहीं की है तो उसकी संपत्ति पर उसकी बेटी का हक होगा। बेटी को अपने पिता के भाई के बेटों की तुलना में संपत्ति का हिस्सा देने में प्राथमिकता दी जाएगी, न कि उसके चचेरे भाइयों को। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 लागू होने से पहले हुए संपत्ति के बंटवारे पर भी लागू होगी।

मद्रास हाईकोर्ट ने चचेरे भाइयों को दिया था संपत्ति में अधिकार
यह फैसला तमिलनाडु के एक मामले में सामने आया। इस मामले में पिता की मृत्यु 1949 में हो गई थी। उन्होंने अपनी कमाई हुई और बंटवारे में मिली संपत्ति की कोई वसीयत नहीं की थी। मद्रास हाई कोर्ट ने पिता के संयुक्त परिवार में रहने के चलते उनकी संपत्ति पर उनके भाई के बेटों को अधिकार दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने पिता की इकलौती बेटी के पक्ष में फैसला दिया है। यह मुकदमा बेटी के वारिस लड़ रहे थे।

Latest Videos

51 पेज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा - 
जस्टिस एस अब्दुल नजीर और कृष्ण मुरारी की बेंच ने यह 51 पन्ने का फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि हिंदू उत्तराधिकार कानून बेटियों को पिता की संपत्ति पर बराबर हक का अधिकार देता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कानून लागू होने से पहले की धार्मिक व्यवस्था में भी महिलाओं के संपत्ति अधिकार को मान्यता प्राप्त थी। पहले भी कई फैसलों में यह बात सामने आ चुकी है कि अगर किसी व्यक्ति का कोई बेटा न हो, तो भी उसकी संपत्ति उसके भाई के बेटों की बजाए उसकी बेटी को दी जाएगी। यह व्यवस्था उस व्यक्ति की अपनी तरफ से अर्जित संपत्ति के साथ-साथ उसे खानदानी बंटवारे में मिली संपत्ति पर भी लागू होती है।

2005 में बदला गया था हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम
9 सितंबर 2005 को हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में बदलाव किया गया था। इसके मुताबिक पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हिस्सा होता है, भले ही वह शादीशुदा हो, विधवा हो, अविवाहित हो या पति द्वारा छोड़ी गई हो। विरासत में मिली संपत्ति में बेटी का जन्म से ही हिस्सा बन जाता है, जबकि पिता की खुद खरीदी हुई संपत्ति वसीयत के अनुसार बांटी जाती है। हालांकि, इस बदलाव का लाभ उन्हीं बेटियों के लिए था, जिनके पिता 9 सितंबर, 2005 को जीवित हों। अगर उसके पिता की मौत इससे पहले हो चुकी हो, तब बेटी का अपनी पैतृक संपत्ति पर हक नहीं माना जाएगा। 

2020 में हुआ ये बदलाव
साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया था कि अगर किसी के पिता की मौत 9 सितंबर 2005 के पहले भी हुई हो,तब भी बेटी का अपने पैतृक संपत्ति पर पूरा हक होगा।

यह भी पढ़ें
अब से 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' पर जलेगी अमर जवान ज्योति, इस कारण किया जा रहा विलीन; भ्रम से बचें और सच जानें
CoronaVirus: दिल्ली से हटाया जा सकता है वीकेंड कर्फ्यू, अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को भेजी सिफारिश

Share this article
click me!

Latest Videos

'गद्दार' सुन रुके CM एकनाथ शिंदे, गुस्से में पहुंचे Congress दफ्तर | Chandivali
'Rahul Gandhi की चौथी पीढ़ी भी धारा 370...' Amit Shah ने भरी हुंकार, टेंशन में आ गई कांग्रेस
LIVE: महाराष्ट्र के गोंदिया में राहुल गांधी का जनता को संबोधन
'देश किसी पार्टी की बपौती नहीं...' CM Yogi ने बताया भारत को गाली देने वालों को क्या सिखाएंगे सबक
वोटिंग के बीच नरेश मीणा ने SDM को ही मार दिया थप्पड़, जानें वायरल वीडियो का पूरा सच