
नई दिल्ली। भारत की सुरक्षा एजेंसियों के सामने ऐसे सच आ रहे हैं, जिन पर यकीन करना मुश्किल है। डॉक्टर-जो लोगों की जान बचाने की कसम खाते हैं, वे ही एक खतरनाक मल्टी-सिटी सीरियल बॉम्बिंग प्लान बना रहे थे। NIA की जांच में सामने आया है कि पांच डॉक्टर, 26 लाख रुपये का सीक्रेट फंड-26 क्विंटल फर्टिलाइज़र, डेटोनेटर और एक मल्टी-सिटी सीरियल ब्लास्ट प्लान, जिसे बड़ी बारीकी से कई महीनों में आतंक की एक ऐसी चेन तैयार की, जो देश के कई शहरों को एक साथ हिला सकती थी। इस नेटवर्क की परतें तब खुलीं जब NIA ने डॉ. मुज़म्मिल शकील गनई से पूछताछ की, जो दिल्ली लाल किले कार ब्लास्ट केस के व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल का हिस्सा बताया जाता है। दिल्ली लाल किले में हुए कार ब्लास्ट के बाद से पकड़े गए मेडिकल प्रोफेशनल्स पर जो खुलासे हुए हैं, वो किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं। लेकिन असल सवाल यह है कि इस नेटवर्क का अंतिम लक्ष्य क्या था? और कौन-कौन इससे जुड़ा है?
NIA के मुताबिक पांच डॉक्टरों ने एक प्रोफेशनली प्लान की गई टेरर साजिश के लिए कुल 26 लाख रुपये इकट्ठा किए थे।
मुज़म्मिल गनई- ₹5 लाख
पूरी रकम आखिरकार उमर को सौंप दी गई क्योंकि बॉम्ब बनाने और टेक्निकल ऑपरेशन की जिम्मेदारी उसी की थी।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मुज़म्मिल ने माना कि उसने गुरुग्राम और नूह के सप्लायर्स से करीब 3 लाख रुपये में 26 क्विंटल NPK फर्टिलाइज़र खरीदा था। यह वही फर्टिलाइज़र है जिसे अमोनियम नाइट्रेट और अन्य केमिकल्स के साथ मिलाकर विस्फोटक सामग्री बनाई जा सकती है। जांच एजेंसी को शक है कि NPK, अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया और डेटोनेटर-इन सबका इस्तेमाल बड़े धमाकों की तैयारी में होना था। NIA अधिकारियों के मुताबिक, “यह अचानक किया गया काम नहीं था। वे रातों-रात बम नहीं बना रहे थे। हर चीज़ बहुत प्लानिंग के साथ हो रही थी।” दूसरे अधिकारी का दावा है कि “उमर टेक्निकल हिस्सा संभाल रहा था। बाकी लोग अलग-अलग सप्लाई और फंडिंग में लगे थे।”
जांच में सामने आ रहा है कि यह सिर्फ एक ग्रुप नहीं, बल्कि एक मल्टी-सिटी एक्टिव नेटवर्क था।
क्या 'टेरर डॉक्टरों' ने 26 लाख रुपये का फंड कैसे जुटाया?
26 क्विंटल NPK फर्टिलाइज़र क्यों खरीदा गया? क्या बनने वाला था बड़ा धमाका?
क्या डॉ. उमर था पूरे ऑपरेशन का टेक्निकल मास्टरमाइंड?
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