उधमपुर में स्टिकी बमों से ब्लास्ट की आशंका, अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद कश्मीर में बढ़ा आतंकवाद

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में 8 घंटे के भीतर (28 की शाम और 29 सितंबर की सुबह) खड़ी दो यात्री बसों में हुए बम ब्लास्ट में दो लोग घायल हो गए थे। पुलिस को आशंका है कि ये ब्लास्ट स्टिकी बम से टाइमर द्वारा ट्रिगर किए गए थे। दोनों विस्फोट उधमपुर कस्बे में खड़ी रामनगर-बसंतगढ़ रूट की बसों में हुए थे।

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में दो खड़ी बसों में हुए धमाकों में स्टिकी बमों के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है। स्टिकी बम एक बड़ी चुनौती है। इधर, बारामूला के पट्टन इलाके के येदिपोरा में आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई। पुलिस और सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन को अंजाम देते हुए 2 आतंकवादी को मार गिराया। यहां 2 से अधिक आतंकवादियों के छुपे होने की जानकारी थी। सर्चिंग जारी है।

क्या स्टिकी बम  से किए थे उधमपुर में ब्लास्ट?
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में 8 घंटे के भीतर (28 की शाम और 29 सितंबर की सुबह) खड़ी दो यात्री बसों में हुए बम ब्लास्ट में दो लोग घायल हो गए थे। पुलिस को आशंका है कि ये ब्लास्ट स्टिकी बम से टाइमर द्वारा ट्रिगर किए गए थे। दोनों विस्फोट उधमपुर कस्बे में खड़ी रामनगर-बसंतगढ़ रूट की बसों में हुए थे। एडीजीपी जम्मू जोन मुकेश सिंह ने कहा: “उधमपुर के डोमेल चौक पर एक पेट्रोल पंप के पास 28 सितंबर रात 10:30 बजे एक खड़ी यात्री बस में एक रहस्यमय विस्फोट हुआ, जिसमें दो लोग मामूली रूप से घायल हो गए। दोनों खतरे से बाहर हैं।

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एक और धमाका 29 सितंबर सुबह करीब छह बजे उधमपुर के पुराने बस स्टैंड पर खड़ी एक अन्य बस में हुआ। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन विस्फोट की तीव्रता के कारण पास खड़े वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। विस्फोट के तुरंत बाद इलाके की घेराबंदी कर तलाशी शुरू कर दी गई है।"

हादसे के बाद एडीजीपी जम्मू जोन मुकेश सिंह, डीआईजी उधमपुर-रियासी रेंज सुलेमान चौधरी और एसएसपी उधमपुर विनोद कुमार विस्फोट स्थल पर पहुंचे। खुफिया एजेंसियों, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, एफएसएल और सेना के बम निरोधक दस्ते की टीमें भी वहां पहुंच गईं। एसआईए की टीमें भी वहां विस्फोट स्थल का मुआयना करने पहुंचीं।

दो लोग हिरासत में लिए गए
सुरक्षा एजेंसियों ने जांच के लिए दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विशेषज्ञ पुलिस जांच में मदद कर सकते हैं। डोमेल, उधमपुर में पेट्रोल पंप के पास की साइट को जांच एजेंसियों ने सील कर दिया है। उधमपुर में विस्फोटों के बाद, उधमपुर में सुरक्षा प्रतिष्ठानों को हाई अलर्ट पर रखा गया था, और नवरात्रि उत्सव के मद्देनजर जम्मू बस स्टैंड और कटरा में चेकिंग तेज कर दी गई थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) ने सांबा में यात्री वाहनों की जांच और तलाशी शुरू कर दी है। किश्तवाड़ में पुलिस ने वाहनों की जांच की और बस स्टैंड पर लोगों से बातचीत की और निगरानी रखने को कहा गया है।

एडीजीपी जम्मू जोन, उधमपुर में दोनों विस्फोट स्थलों पर स्थिति की समीक्षा करने के बाद, मुकेश सिंह ने पत्रकारों से कहा  विभिन्न बिंदुओं पर जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, "बसों की प्रारंभिक जांच के अनुसार, दोनों बसों में हुए विस्फोटों में कुछ समानताएं हैं।"

प्रारंभिक जांच का हवाला देते हुए सिंह ने कहा, "स्टिकी बमों के इस्तेमाल की आशंका है, हालांकि इस समय कुछ भी पुष्टि नहीं की जा सकती है। दो FIR दर्ज करने के साथ जांच जारी है। उच्च विस्फोटक और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) वाले टाइमर के उपयोग की भी संभावना है। उन्होंने कहा कि पुलिस पहले से ही आतंकी नेटवर्क के विभिन्न मॉड्यूल पर काम कर रही है। सिंह ने कहा-“यह एक्सपोज़िशन ऐसे ही एक आतंकी मॉड्यूल की करतूत लगती है। यह जांच का हिस्सा है कि क्या ये आईईडी या स्टिक बम लगाए गए थे, जब इन बसों में कोई नहीं था। सेना की एक टीम और बम निरोधक दस्ते सहित सुरक्षा एजेंसियों की विभिन्न टीमें विस्फोट स्थलों का दौरा करने आई थीं। हम उनके साथ भी विचार-विमर्श कर रहे हैं।"

अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद जम्मू-कश्मीर में सक्रिय विदेशी आतंकवादियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, लेकिन घाटी में आतंकवादियों की ताकत कम है। इसे 200 से नीचे रखा जा सकता है। यह बात सीआरपीएफ के महानिदेशक( CRPF DG Kuldiep Singh) कुलदीप सिंह(शुक्रवार को रिटायर्ड) ने गुरुवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कश्मीर में एक्टिव सभी सुरक्षा बल समन्वित तरीके से काम कर रहे हैं और 2019 में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के बाद आतंकवादी घटनाएं घटी हैं। सीआरपीएफ के महानिदेशक ने अज्ञात आतंकवादियों द्वारा स्थानीय लोगों और कश्मीरी पंडितों की हत्या के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि यह एक चुनौती थी, लेकिन सभी बल इससे प्रभावी ढंग से निपट रहे थे। कुलदीप सिंह ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद यह चुनौती कई रूपों में बढ़ी है। आप इसे देख सकते हैं। जैसे विदेशी आतंकवादियों की संख्या कभी बढ़ जाती है, तो कभी-कभी कम हो जाती है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की कुल संख्या कम है। पहले के समय की तुलना में अब यह 200 से कम है, जबकि पहले ये 230-240 हुआ करते थे।

तालिबान ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था
तालिबान ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। पश्चिम बंगाल कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1986 बैच के अधिकारी कुलदीप सिंह ने पिछले साल मार्च में सीआरपीएफ के महानिदेशक के रूप में कार्यभार संभाला था। वह शुक्रवार को सेवा से सेवानिवृत्त(retire) हुए। उन्होंने कहा कि जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की बात आती है तो 'स्टिक बम' का बड़ा खतरा होता है, लेकिन वहां तैनात सभी बलों ने इस पर प्रभावी कार्रवाई की और अगस्त में संपन्न अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित सुनिश्चित किया।

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