मजदूर से लेकर CM बनने तक का सफर, कुछ ऐसा है झारखंड के इस नेता के संघर्ष का किस्सा

झारखंड की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री रघुवर दास के संघर्षों से जुड़ा एक किस्सा सामने आया है। जिसमें सीएम दास राजनीति में आने से पहले टाटा स्टील फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। दास को 1995 में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने का मौका मिला। जिसके बाद 2014 में उन्हे सीएम पद की जिम्मेदारी सौंपी गई।

Asianet News Hindi | Published : Nov 2, 2019 5:19 AM IST / Updated: Nov 02 2019, 11:04 AM IST

रांची. मेहनत और पूरी लगन से काम करने वाला व्यक्ति आसमान की बुलंदियों को कभी भी छू सकता है। कुछ ऐसा ही रहस्य झारखंड सूबे की कमान संभालने वाले सीएम रघुवर दास के साथ भी जुड़ा हुआ है। जिन्होंने स्टील कंपनी में 3 दशक तक मजदूरी करने से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय किया है और फिर विधानसभा चुनाव 2019 के चुनावी मैदान में जनता के सामने हैं। चुनाव आयोग द्वारा झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के तारिखों का ऐलान कर दिया गया है। जिसमें 30 नवंबर से जनता पांच चरणों में नई सरकार के चुनाव के लिए वोट डालेगी। जिसके बाद 23 दिसंबर को परिणाम सामने आएंगे। सीएम रघुवर दास से जुड़ा एक किस्सा एशियानेट न्यूज की टीम साझा कर रही है।आईए जानते है कैसे उन्होंने जमीन से लेकर कुर्सी तक का सफर तय किया है...

टाटा स्टील फैक्ट्री में थे वर्कर 
झारखंड के सीएम रघुवर दास राजनीति में कदम रखने से पहले झारखंड स्थित टाटा स्टील फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। इसी बीच उन्होंने मजदूरों का नेतृत्व करने के लिए मजदूर संघ का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और मजदूरों के नेता बने। टाटा स्टील में नौकरी करने के कारण रघुवर दास एग्रीको में कंपनी के क्वार्टर में रहते थें।

पांच बार से हैं विधायक
मजदूरों का नेतृत्व करने के बाद उन्होंने जनप्रतिनिधि बनने का निर्णय लिया और पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा से चुनावी दंगल के खिलाड़ी बनकर उन्होंने विधायक पद के लिए ताल ठोकी। जनता ने भी इस जमीनी नेता को अपना साथ दिया और दास चुनाव में जीत हासिल कर पहली बार विधायक बने। जिसके बाद वह लगातार पांच बार से विधायक चुने जा रहे हैं।

तोहफे में मिला सीएम का पद
रघुवर दास के लगातार पांच बार विधायक चुने जाने और 2014 के चुनाव में पार्टी को बहुमत मिलने के बाद अब बारी बीजेपी की थी, जिसमें दास को जीत का तोहफा देना था। जिसके बाद पार्टी ने रघुवर को प्रदेश की बागडोर सौंप मुखिया बनाया।  

भाई आज भी करते हैं नौकरी
सीएम रघुवर दास उन साधारण व्यक्तियों में शुमार है कि उनके सीएम बनने के बाद भी दोनों भाई नौकरी करते हैं। रघुवर दास के एक भाई मूलचंद साहू टाटा स्टील के ईएसएस प्राप्त मजदूर हैं, तो दूसरे छोटे भाई जगदेव साहू श्रम और नियोजन विभाग में एंप्लॉयी हैं।

पिता भी करते थे मजदूरी
18 दिसंबर 1954 को रघुवर दास का जन्म हुआ था। सीएम रघुवर दास के पिता चवन दास मूल रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले के रहने वाले थे। वे मजदूरी करने टाटानगर आए और 1979 में वहीं बस गए। रघुवरदास की बहन प्रेमवती, माहरीन बाई, बेदू बाई, भाई मूलचंद, जगदेव साहू और उनका परिवार टाटा नगर में रहते हैं। रघुवर 12 साल की उम्र से बड़ी बहन प्रेमवती देवी के घर रह रहे थे।  सीएम रघुवर दास के पिता भालूबासा स्थित हरिजन बस्ती के पास रहते थे। हालांकि, टाटा स्टील में नौकरी करने के बाद रघुवर दास एग्रीको में कंपनी के क्वार्टर में रहने लगे। उनके छोटे भाई मूलचंद आज भी बस्ती में ही रहते हैं और रघुवर को अब गर्वमेंट की तरफ से रांची में बंगला मिला हुआ है।

राजनीति में ऐसे हुई एंट्री
टाटा स्टील में नौकरी करने के दौरान रघुवर दास श्रमिकों के नेता बन गए। उसी दौरान जेपी आंदोलन हुआ और वे राजनीति में आ गए। 1975 में इमरजेंसी के दौरान रघुवर दास को जेल भी जाना पड़ा। पहली बार रघुवर दास को 1995 में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनने का मौका मिला। इसके बाद झारखंड में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें 30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010 तक डिप्टी सीएम बनाया गया। साथ ही उनको शहरी विकास मंत्री का पद भी दिया गया था।

पिताजी लगाते थे लताड़
सीएम के छोटे भाई मूलचंद साहू के मुताबिक, हमारे पिताजी को राजनीति से परहेज नहीं था। लेकिन पढ़ाई के दौरान राजनीति में हिस्सा लेने पर वे नाराज हुआ करते थे। कहते थे कि पहले पढ़ाई पूरा करो, फिर कुछ और साथ ही जमकर डांट भी लगाते थे। हालांकि, 1977 के छात्र आंदोलन में जेल जाने पर भैया को पिताजी का पूरा समर्थन मिला। हमें खुशी है और आशा है कि वे राज्य का विकास करेंगे।

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