तीतवाल में पुनर्निर्मित किए जा रहे शारदा यात्रा मंदिर में मोमबत्तियों और दीयों की रोशनी के बीच दीपावली मनाई गई। शारदा समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडिता ने बताया कि सोमवार को दीवाली मनाने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने सेना के जवानों के साथ मिट्टी के दीये, मोमबत्तियां जलाईं और मिठाई बांटी।
Abandoned Sharda village story: दशकों बाद मां शारदा देवी मंदिर में दीपावली मनाई गई। मां शारदे का यह मंदिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र में है। 1947 में कबिलाई हमले के दौरान शारदा मंदिर और गुरुद्वारा को तहस-नहस कर जला दिया गया था। शारदा गांव में तबसे कोई नहीं रहता है। एलएसी से करीब 500 मीटर दूर कुपवाड़ा के टीटवाल गांव में अब इस मंदिर का फिर से निर्माण कराया जा रहा है ताकि मां शारदा मंदिर की विरासत को सहेजा जा सके। शारदा मंदिर के पुनर्निर्माण का जिम्मा गांववालों ने उठाया है। इस बार गांव के लोगों ने सेना की मौजूदगी में शारदा पीठ पर दीये जलाए और दीपावली मनाई है।
शारदा पीठ के बारे में जानिए...
शारदा पीठ, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र यानी पीओके में है। यहां स्थित शारदा पीठ को तहस नहस कर दिया गया था। कश्मीरी भाषा में शारदा पीठ का मतलब होता है सरस्वती देवी का पीठ। शारदा पीठ, भारतीय उप महाद्वीप के प्रमुख प्राचीन विश्वविद्यालयों में एक था। शारदा पीठ नीलम नदी के किनारे शारदा गांव में स्थित एक परित्यक्त मंदिर है। इसे पूरे दक्षिण एशिया में 18 अत्यधिक सम्मानित मंदिरों में से एक माना जाता है। इस गांव में एक गुरुद्वारा भी हुआ करता था। लेकिन इस शापित गांव में अब कुछ भी नहीं है।
पीठ से 40 किलोमीटर दूर है टीटवाल गांव
पीठ से करीब 40 किलोमीटर दूर है टीटवाल गांव जोकि कुपवाड़ा जिला में है और नियंत्रण रेखा से करीब पांच सौ मीटर दूर है। अब टीटवाल गांव के लोगों ने कश्मीरियत की मिसाल पेश करते हुए गांव में ही शारदा मंदिर के निर्माण का जिम्मा उठाया है। इस गांव के मुस्लिम लोगों ने शारदा पीठ के लिए जमीन कश्मीरी पंडितों को दी है। अब यहां मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस गांव के लोग चाहते हैं कि शारदा पीठ तीर्थयात्रा की सदियों की परंपरा को पुनर्जीवित किया जाए।
गांव में पहली बार मनाई गई दीवाली
तीतवाल में पुनर्निर्मित किए जा रहे शारदा यात्रा मंदिर में मोमबत्तियों और दीयों की रोशनी के बीच दीपावली मनाई गई। शारदा समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडिता ने बताया कि सोमवार को दीवाली मनाने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने सेना के जवानों के साथ मिट्टी के दीये, मोमबत्तियां जलाईं और मिठाई बांटी। निर्माण समिति के सदस्य एजाज खान के नेतृत्व में विभाजन के बाद पहली बार टीटवाल में दीवाली मनाई गई। उन्होंने बताया कि शारदा बचाओ समिति ने पिछले साल मंदिर और एक सिख गुरुद्वारे के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया है। 1947 में कबिलाई हमले के दौरान एक धर्मशाला और एक सिख गुरुद्वारा उसी भूखंड में मौजूद था जिसे छापे में जला दिया गया था।
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