सोशल मीडिया ने बना दी एक पैर के भरोसे अपना 'ड्रीम' पूरा करने में लगे इस लड़के की किस्मत, देखिए वो वीडियाे

मौजूदा समय में सोशल मीडिया एक बहुत बड़ी ताकत बनकर सामने आया है। इसने कइयों की जिंदगी बदली हैं। इनमें से एक हैं कश्मीर घाटी के हंदवाड़ा के रहने वाले परवेज अहमद (Parvaiz Ahmad Courage and passion story)। ये एक पैर के भरोसे अपना ड्रीम पूरा करने में लगे थे। इनका वीडियो सोशल मीडिया पर आया, तो बात अमेरिका तक पहुंच गई और अब ये दोनों पैरों पर खड़े हो सकेंगे। पढ़िए गजब कहानी...
 

जम्मू. यह कहानी उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा उप-जिले के एक सुदूर गांव नौगाम के रहने वाले परवेज अहमद (Parvaiz Ahmad Courage and passion story) की है। जब ये महज 6 साल के थे, तब आग लगने से हुए हादसे में इनका बायां पैर ( eft leg) काटना पड़ा था। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर इनका वीडियो वायरल हुआ। नतीजा, अब इनकी मदद के लिए जयपुर फुट USA आगे आया है। बता दें कि जयपुर फुट USA एक बड़ी संस्था है, जो आर्टिफिशियल हाथ-पैर उपलब्ध कराती है। जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी न्यूयॉर्क में रहते हैं। लेकिन भारत में दिव्यांग लोगों की मदद करने से पीछे नहीं रहते।

बेहतर क्रिकेटर और बॉलीवॉल प्लेयर हैं परवेज
14 साल के परवेज 9th क्लास में पढ़ते हैं। वे डॉक्टर बनना चाहते हैं। परवेज अपनी हर तकलीफ को झेलते हुए पैर पर करीब 2 किमी चलकर स्कूल पहुंचते हैं। इनकी कहानी भी बिहार के जमुई की रहने वाली 10 साल की सीमा की तरह है। सीमा का भी बायां पैर 2 साल पहले एक हादसे के बाद काटना पड़ा था। परवेज की फैमिली भी सीमा की तरह इलाज नहीं करा पा रही थी। सीमा का मामला मीडिया में आने के बाद बिहार सरकार के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने उसके लिए आर्टिफिशियल पैर और ट्राइसाइकिल की व्यवस्था कर दी है। अब परवेज की मदद के लिए भी कई लोग आगे आए हैं। परवेज जब महज 6 महीने के थे, तब आग लगने की घटना हुई थी। परवेज के पिता मजदूर हैं।

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ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों पर चढ़कर स्कूल जाते हैं परवेज
पिछले दिनों परवेज के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इसमें वे जर्जर पहाड़ियों पर एक पैर पर कूदते-फांदते स्कूल जाते दिखाई दे रहे थे। परवेज के मुताबिक वे सुबह 9 बजे स्कूल के लिए निकलते हैं। वे जहां रहते हैं, वो एक पहाड़ी इलाका है और सड़क बेहद जर्जर, इसलिए 2 किमी की दूरी तय करने में अकसर 1 घंटा लग जाता है। लेकिन वे निराश नहीं होते। उम्मीद नहीं छोड़ते। परवेज बाकी स्टूडेंट्स के साथ पढ़ाई-लिखाई में कॉम्पटीशन करने में भी पीछे नहीं हैं। परवेज वॉलीबॉल और क्रिकेट का प्लेयर है। वे जोश से कहते हैं कि अगर उन्हें सही कोचिंग मिल जाए, तो बड़े प्लेटफॉर्म पर बेहतर प्रदर्शन की क्षमता रखते हैं।

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