महबूबा मुफ्ती की बहन के बदले छोड़े गए ये 5 आतंकी, आखिर क्या था रुबिया अपहरण कांड जिसे यासीन मलिक ने दिया अंजाम

सार

जेकेएलएफ के चीफ और आतंकी यासीन मलिक को 25 मई को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यासीन पर टेरर फंडिंग के आरोप थे। वैसे यासीन मलिक घाटी का खूंखार आतंकी है और उस पर 4 एयरफोर्स अफसरों की हत्या के अलावा महबूबा मुफ्ती की बहन के अपहरण का भी आरोप है। 

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को पटियाला हाउस कोर्ट ने 25 मई को उम्रकैद की सजा सुनाई। यासीन पर टेरर फंडिंग के आरोप लगे थे। वैसे, यासीन मलिक पर इसके अलावा भी कई आरोप हैं, जिनमें एयरफोर्स के 4 अफसरों की हत्या से लेकर पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती की छोटी बहन का अपहरण करने जैसी घटनाएं शामिल हैं। बता दें कि यासीन मलिक ने दिसंबर, 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद की बेटी रुबिया को किडनैप किया था। इसके बदले में भारत सरकार को 5 खूंखार आतंकवादी छोड़ने पड़े थे। 

आखिर कब की है ये घटना : 
8 दिसंबर, 1989 को यासीन मलिक ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और महबूबा मुफ्ती की छोटी बहन रुबिया सईद का अपहरण कर लिया। रुबिया सईद का अपहरण उस वक्त हुआ, जब वो श्रीनगर के एक अस्पताल से अपनी ड्यूटी खत्म करके निकल रही थीं। आतंकी रुबिया को किडनैप कर श्रीनगर से दूर नाटीपोरा ले गए। बता दें कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद को रोकने और वहां के लोगों में बढ़ती कट्टरता पर काबू पाने के लिए मुफ्ती मोहम्मद सईद को होम मिनिस्टर बनाया गया था, लेकिन उनके गृह मंत्री बनते ही बेटी की किडनैपिंग की बात आज भी लोगों के गले नहीं उतरती है।

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रुबिया के बदले की 5 आतंकियों को छोड़ने की मांग : 
जेकेएलएफ के चीफ यासीन मलिक और उसके साथियों ने रुबिया सईद की रिहाई के बदले 5 खूंखार आतंकियों को छोड़ने की डिमांड की। ये आतंकी अल्ताफ बट, जावेद जरगर, शोख मोहम्मद, नूर मोहम्मद कलवाल और शेर खान थे। हालांकि, बाद में आतंकियों ने जावेद जरगर की जगह एक अन्य आतंकी अब्दुल अहद वाजा की रिहाई की मांग की थी। यासीन मलिक के दबाव और अपनी बेटी की खातिर गृह मंत्री ने इन खूंखार आतंकियों को छोड़ दिया। 

अपहरण के 5 दिन बाद ही लौट आई रुबिया :
जेकेएलएफ ने रुबिया सईद को अहरण के 5 दिन बाद ही छोड़ दिया था। हालांकि, इसके बदले में उनकी 5 आतंकियों को छोड़ने की मांग पूरी हो चुकी थी। रुबिया सईद भले ही आतंकियों की गिरफ्त से छूट गईं, लेकिन इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनके परिवार पर जानबूझर इस साजिश को अंजाम देने के गंभीर आरोप लगे।   

टेररिस्ट के छूटने के बाद घाटी में बढ़ी आतंकी घटनाएं : 
मुफ्ती की बेटी रुबिया का अपहरण और उसे आतंकियों के बदले छोड़ना एक साजिश का हिस्सा था। हालांकि, इन टेररिस्ट के छूटने के बाद कश्मीर घाटी में आतंकवाद ने तेजी से पैर पसारे। जनवरी, 1990 में वहां बड़े पैमाने पर कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार और पलायन हुआ। होम मिनिस्टर की बेटी के बदले हुई टेररिस्ट की रिहाई ने आतंकियों के हौसले और बुलंद कर दिए थे। कहा जाता है कि रुबिया सईद के अपहरण के बाद घाटी में 5700 लोगों को किडनैप किया गया। इनमें से ज्यादातर लोग मार दिए गए। इन्हीं में कश्मीर यूनिवर्सिटी के कुलपति मुशीर उल हक का नाम भी शामिल था।

रुबिया सईद का अपहरण एक साजिश : 
दरअसल, रुबिया अपहरण कांड की चर्चा 2014 में चुनाव के वक्त भी खूब हुई थी। इस दौरान कश्मीर घाटी के ही एक अलगाववादी नेता हिलाल ने अपनी किताब ‘ग्रेट डिस्क्लोजरः सीक्रेट अनमास्क्ड’ में साफतौर पर ये लिखा गया है कि रूबिया सईद का अपहरण सिर्फ एक राजनीतिक साजिश थी। 

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