इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले टॉप-5 कंपनियों में तीन झेल रहीं ईडी और आईटी जांच

इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने वाली टॉप-5 कंपनियों में तीन कंपनियां ऐसी हैं जो ईडी और इनकम टैक्स की जांच झेल रही हैं।

Dheerendra Gopal | Published : Mar 15, 2024 10:45 AM IST / Updated: Mar 15 2024, 06:22 PM IST

नई दिल्ली। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों के डिटेल्स पब्लिश किए जा चुके हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड का पांच सालों का रिकॉर्ड सामने आने के बाद एक के बाद एक बड़ा खुलासा हो रहा है। इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने वाली टॉप-5 कंपनियों में तीन कंपनियां ऐसी हैं जो ईडी और इनकम टैक्स की जांच झेल रही हैं। इसमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, मेघा इंजीनियरिंग और माइनिंग जायन्ट वेदांता हैं।

सबसे बड़ी दानवीर कंपनी ने ईडी की कार्रवाई के बाद 100 करोड़ का खरीदा बॉन्ड

इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले दानदाताओं के रिकॉर्ड्स देखें तो यह साफ है कि लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड सबसे बड़ी दानदाता है। सैन्टियागो मार्टिन के स्वामित्व वाली फ्यूचर गेमिंग ने 1300 करोड़ रुपये से अधिक का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा है। कंपनी के खिलाफ ईडी मनी लॉन्ड्रिंग जांच कर रही है। यह जांच 2019 से ही चल रही है। अप्रैल 2022 में ईडी ने कंपनी की 650 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया था। अटैचमेंट के पांच दिन बाद ही फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा था। दरअसल, ईडी जांच सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर थी। ईडी का दावा था कि मार्टिन और अन्य ने आपराधिक साजिश करके लॉटरी रेगुलेशन एक्ट 1998 का उल्लंघन करते हुए सिक्किम सरकार को धोखा दिया। आरोप था कि मार्टिन और उसके एसोसिएट्स ने अवैध तरीके से 910.3 करोड़ रुपये कमाया।

एक हजार करोड़ का बॉन्ड खरीदा है मेघा इंजीनियरिंग ने

दूसरी सबसे बड़ी डोनर कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड, हैदराबाद की कंपनी है। यह इंफ्रास्ट्रक्चरल बेस्ट कंपनी, कृष्णा रेड्डी की है। इस कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच एक हजार करोड़ रुपये की कीमत के बॉन्ड खरीदे हैं। यह फर्म तेलंगाना सरकार के कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट में शामिल थी। इस कंपनी ने जोजिला टनल और पोलावरम डैम का भी निर्माण किया है। अक्टूर 2019 में मेघा इंजीनियरिंग के ऑफिस पर इनकम टैक्स रेड पड़ा था। ईडी ने भी जांच शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि उसी साल कंपनी ने 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड परचेस किए।

तीसरी आरोपी कंपनी वेदांता माइनिंग जायन्ट है। यह कंपनी अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली है। वेदांता कंपनी, पांचवीं सबसे बड़ी इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी है। कंपनी ने 376 करोड़ रुपये का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा है। वेदांता, ईडी जांच के दायरे में था। आरोप है कि वीजा घूसकांड में आरोपी था। चीनी नागरिकों को अवैध तरीके से वीजा देने का आरोप लगा। वेदांता ने 2019 से 2023 के बीच एक साथ 400 करोड़ रुपये का डोनेशन इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में दिया।

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