भारत में कोरोना नहीं ढा सकता चीन जैसा कहर, टीकाकरण और हर्ड इम्यूनिटी समेत ये हैं तीन मुख्य वजह

Published : Dec 22, 2022, 12:55 PM ISTUpdated : Dec 22, 2022, 01:03 PM IST
भारत में कोरोना नहीं ढा सकता चीन जैसा कहर, टीकाकरण और हर्ड इम्यूनिटी समेत ये हैं तीन मुख्य वजह

सार

कोरोना चीन की तरह भारत में कहर नहीं ढा सकता। टीकाकरण, हर्ड इम्यूनिटी और ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BF.7 इसकी मुख्य वजह है। भारत में जुलाई में ही BF.7 वैरिएंट की पहचान हुई थी।   

नई दिल्ली। चीन में कोरोना महामारी (Covid in China) के चलते हाहाकार मचा हुआ है। इसे देख भारत में भी कोरोना की नई लहर फैलने को लेकर चिंता जताई जा रही है। हालांकि टीकाकरण से लेकर हर्ड इम्यूनिटी तक कई ऐसे वजह हैं, जिसके चलते कोरोना भारत में चीन जैसा कहर नहीं ढा सकता। 

कोरोना चीन से शुरू हुआ था और पूरी दुनिया में फैला था। चीन ने तुरंत टीका बना लेने का दावा तो किया, लेकिन उसका टीका कोरोना को रोकने में कारगर साबित नहीं हुआ। इसके साथ ही चीन अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण भी नहीं कर पाया। दूसरी ओर भारत इस मामले में काफी बेहतर है। भारत में न सिर्फ कोरोना के टीके बनाए गए बल्कि इसे पूरी दुनिया में बांटा भी गया। भारत में कोरोना का लगभग पूर्ण टीकाकरण हो गया है। अधिकतर लोगों ने कोरोना वैक्सीन के दो डोज लगवाए हैं। 

भारत के लोगों में विकसित हो गई है हर्ड इम्यूनिटी 
भारत में कोरोना संक्रमण के कई लहर आ चुके हैं। इसके चलते अधिकतर लोग कभी न कभी कोरोना से संक्रमित हुए हैं और उनके शरीर में इस बीमारी से लड़ने की ताकत आ गई है। इसे हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं। दूसरी ओर चीन ने सख्त लॉकडाउन लगाकर कोरोना फैलने पर लगाम लगाए रखा, जिसके चलते वहां के अधिकतर लोग इसके संक्रमण के शिकार नहीं हुए थे, जिससे हर्ड इम्यूनिटी भी विकसित नहीं हो पाई। हर्ड इम्यूनिटी की कमी और पूर्ण टीकाकरण नहीं होने से चीन में स्थिति इतनी अधिक बिगड़ी है।

अधिक कारगर हैं भारत के टीके
भारत में लोगों को लगाए गए टीकों में से 96% या तो ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार कोविशील्ड हैं या भारत बायोटेक द्वारा बनाए गए कोवैक्सीन। कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया या बनाया जाता है। ये दोनों वैक्सीन कोरोना के खिलाफ लड़ने में करीब 80 फीसदी कारगर साबित हुए हैं। दूसरी ओर चीन में अधिकतर लोगों को कोरोनावैक (CoronaVac) और Sinopharm नाम की वैक्सीन लगाई गई है। स्टडी के अनुसार कोरोनावैक ने 79 वर्ष की उम्र तक के लोगों को कोरोना से 60% सुरक्षा दी। 80 साल से अधिक उम्र के लोगों के मामले में यह टीका सिर्फ 30 फीसदी कारगर साबित हुआ। यह बीमारी से मौत रोकने में 45 फीसदी ही कामयाब रहा।

चीन की सरकार ने टीका लगाने की गलत नीति अपनाई। सरकार ने युवाओं को टीका लगाने पर अधिक ध्यान दिया और बुजुर्ग को टीका लगाने पर कम ध्यान दिया गया। बुजुर्ग कोरोना के मामले में अधिक खतरे में थे। उनकी मौत की संभावना भी अधिक थी। दूसरी ओर भारत में टीकाकरण में बुजुर्गों को अधिक प्राथमिकता दी गई।

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भारत में जुलाई से ही है ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BF.7
चीन में कोरोना संक्रमण में उछाल के पीछे ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BF.7 को जिम्मेदार माना जा रहा है। 9 दिसंबर तक चीन के डाटा के अनुसार कोरोना संक्रमितों में से 14 फीसदी ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BF.7 से संक्रमित हुए थे। भारत में BF.7 वैरिएंट के संक्रमण की पहचान जुलाई में ही हो गई थी। जुलाई से अब तक भारत में इस वैरिएंट के चलते कोरोना के मामलों में तेज उछाल नहीं आया है। इससे पता चलता है कि भारत में किया गया टीकाकरण इस वैरिएंट के खिलाफ अच्छा काम कर रहा है।

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