मौत देने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन पहुंचा कोर्ट, कहा, फांसी देने के लिए नई तारीख दें

तिहाड़ प्रशासन गुरुवार को कोर्ट से नया डेथ वारंट जारी करने का अनुरोध किया है। जेल प्रशासन की याचिका पर कोर्ट ने दोषियों समेत सभी संबंधित पक्षों से उनकी राय मांगी है। इससे पहले कोर्ट ने दोषियों की फांसी टाल दी थी। 

नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों की फांसी पर लगी अनिश्चितकालीन रोक के बाद आज यानी गुरुवार को तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली के पटियाला कोर्ट का रूख किया है। जिसमें कोर्ट ने चार में से तीन दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद तिहाड़ प्रशासन गुरुवार को कोर्ट से नया डेथ वारंट जारी करने का अनुरोध किया है। जेल प्रशासन की याचिका पर कोर्ट ने दोषियों समेत सभी संबंधित पक्षों से उनकी राय मांगी है और शुक्रवार को इस पर सुनवाई की तारीख तय की है। 

अब नई पैंतरेबाजी

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निर्भया के दोषी अक्षय ने फांसी से बचने के लिए नई चाल चली है। अक्षय के वकील एपी सिंह के मुताबिक, अक्षय ने 1 फरवरी को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा था कि अक्षय की दया याचिका बिना उसके हस्ताक्षर के राष्ट्रपति के समक्ष दाखिल की गई. लिहाजा दया याचिका पर संज्ञान नहीं लिया जाए। 

अक्षय के वकील एपी सिंह के मुताबिक, राष्ट्रपति भवन में पावती की मुहर के साथ संलग्न पत्र में कहा गया है कि 31 जनवरी को दाखिल दया याचिका पर अक्षय के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान नहीं हैं। न ही याचिका तिहाड़ जेल प्रशासन से प्रमाणित है। साथ ही  याचिका दोषी की आर्थिक स्थिति और केस की पूरी जानकारी के बिना जल्दबाजी में दायर हुई थी। 

दी गई 7 दिन की मोहलत

केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि निर्भया के चारों दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने दोषियों को सभी कानून विकल्प अजमाने के लिए 7 दिन का वक्त दिया।  इसके बाद डेथ वारंट जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी। साथ ही कोर्ट ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की अपील खारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाने को लेकर संबंधित अधिकारियों को भी फटकार लगाई।

जेल मैनुअल के तहत एक साथ दी जाएगी फांसी 

जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने अपने फैसले में कहा, जेल मैनुअल के नियम 834 और 836 के मुताबिक अगर एक ही मामले में एक से ज्यादा सजा पाए दोषियों की याचिका लंबित रहती है तो फांसी टल जाती है। ट्रायल कोर्ट ने सभी को एक साथ दोषी ठहराया था। उनका अपराध बेहद क्रूर और जघन्य था। इसका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कुछ कानूनी उपाय उनको भी मिले हैं, जिनका उन्होंने इस्तेमाल किया। इससे पहले, उन्होंने तीन घंटे की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

केंद्र और दिल्ली सरकार ने ट्रायल कोर्ट के 31 जनवरी के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने दोषी मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। अक्षय, मुकेश और विनय की दया याचिका खारिज हो चुकी है, जबकि पवन ने अभी इसे दायर नहीं किया है।

22 जनवरी फिर 1 फरवरी, जब टल गई फांसी

निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले चार दोषियों विनय, पवन, अक्षय और मुकेश को पहले 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी दी जानी थी। लेकिन दोषियों ने कानून दांव पेंच का प्रयोग कर फांसी रोकवा ली थी। जिसके बाद दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों के 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था। लेकिन दोषियों ने एक फिर पैंतरेबाजी कर मौत की तारीख को टाल दिया।

क्या है पूरा मामला

दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।

छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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