भगवान को तो राजनीति से दूर रखें, सुप्रीम कोर्ट ने सीएम चंद्रबाबू नायडू को फटकारा

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, जहाँ जस्टिस ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को फटकार लगाई और धर्म को राजनीति से दूर रखने की नसीहत दी।

Dheerendra Gopal | Published : Sep 30, 2024 10:10 AM IST / Updated: Sep 30 2024, 03:47 PM IST

Tirupatti Laddu Controversy: तिरुपति मंदिर में श्री वारी लड्डू बनाने वाली घी में गाय की चर्बी, सुअर की चर्बी आदि की मिलावट का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को जमकर फटकारा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि जब प्रसाद में जानवरों की चर्बी की पुष्टि के लिए जांच मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एसआईटी को दे दी थी तो उनको मीडिया में जाने की क्या आवश्यकता थी। कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखें। जुलाई में आई लैब रिपोर्ट को सितंबर में राजनीतिक रंग देने के लिए मीडिया में बयानबाजी क्यों किया गया।

  1. सुप्रीम कोर्ट में चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं। कोर्ट में डॉ.सुब्रमण्यम स्वामी, वाईवी सुब्बा रेड्डी, विक्रम संपत, दुष्यंत श्रीधर, सुरेश चव्हाण ने याचिका दायर की हैं। सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से राजशेखर राव, वाईवी सुब्बा रेड्डी की ओर से सिद्धार्थ लूथरा, आंध्र सरकार की ओर से मुकुल रोहतगी और केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।
  2. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि जुलाई में लैब रिपोर्ट आई थी। रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है।
  3. बेंच ने कहा कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एसआईटी बनाकर जांच का आदेश दे दिया था। ऐसे में उनको सितंबर महीना में मीडिया के सामने बयान देने की नौबत क्यों आई। एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा कैसे कर सकता है।
  4. सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि धर्म और राजनीति को आपस में मिलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
  5. याचिकाओं की सुनवाई के पहले दिन सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आपने विशेष जांच का आदेश दिया। परिणाम आने तक, प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? आप हमेशा से ही ऐसे मामलों में पेश होते रहे हैं। यह दूसरी बार है।
  6. नाराज बेंच ने यह भी कहा कि यह अभी तक स्थापित नहीं हुआ है कि जिस घी के बारे में शिकायतें मिली थीं, वह वास्तव में लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था या नहीं।
  7. जस्टिस गवई को बताया गया कि घी की गुणवत्ता की जांच जारी है। इस पर उन्होंने फिर से पूछा: तो तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की जरूरत है।
  8. कोर्ट ने पूछा: इस बात का सबूत कहां है कि लड्डू बनाने के लिए इसी घी का इस्तेमाल किया गया था? उन्होंने बताया कि 6 और 12 जुलाई को वितरित किए गए टैंकरों की जांच की गई थी। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, उनका कभी इस्तेमाल नहीं किया गया। प्रयोगशाला ने इन टैंकरों से लिए गए नमूनों का हवाला दिया, न कि जून में की गई डिलीवरी का, जिनका इस्तेमाल 4 जुलाई तक किया गया था।

 

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