ट्रेन ट्राइवर को अगर हार्ट अटैक आ जाए तो क्या होगा?

Published : Feb 10, 2025, 05:30 PM IST
ट्रेन ट्राइवर को अगर हार्ट अटैक आ जाए तो क्या होगा?

सार

भारत में सबसे सुरक्षित और आरामदायक सार्वजनिक वाहन ट्रेन है। इसमें हर दिन लाखों लोग सफ़र करते हैं। अगर यात्रियों की ज़िम्मेदारी संभालने वाले चालक को ही हार्ट अटैक आ जाए तो?

हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की संख्या हाल के दिनों में बढ़ी है। अब एक पल में ही ज़िंदगी और मौत का फ़ैसला हो जाता है। नाचते-गाते, जिम में वर्कआउट करते, बस में सफ़र करते हुए लोग अचानक गिरकर दम तोड़ देते हैं, ऐसी कई घटनाएँ सामने आ रही हैं। कम उम्र में हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ रहे हैं। ये अचानक मौत कई लोगों को खतरे में डाल सकती है। बस या ट्रेन जैसे सार्वजनिक वाहन चलाने वाले ड्राइवर को हार्ट अटैक आए तो कई लोगों की जान जा सकती है। आज हम इसी सवाल का जवाब देंगे कि अगर ट्रेन चालक (ट्रेन ड्राइवर) को हार्ट अटैक आ जाए तो क्या होता है।

भारत में सबसे सुरक्षित और आरामदायक सार्वजनिक वाहन ट्रेन है। कम खर्च में लंबी दूरी तय करने के लिए लोग ट्रेन को चुनते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे विभाग (रेलवे डिपार्टमेंट) भी कई सुविधाएँ देता है। नए और सुविधाजनक ट्रेनें शुरू की जा रही हैं। साथ ही, अगर ट्रेन चलाते समय ड्राइवर को हार्ट अटैक आता है, तो उसके लिए भी रेलवे विभाग ने पहले से ही समाधान निकाला है।

ट्रेन चलाते समय चालक को हार्ट अटैक आए तो?: सोचिए सैकड़ों लोगों से भरी ट्रेन तेज़ गति से दौड़ रही है। तभी चालक को हार्ट अटैक आ जाता है। फिर यात्रियों का क्या होगा? चिंता की कोई बात नहीं। रेल मंत्रालय मुख्य चालक के साथ एक सहायक चालक भी रखता है। अगर मुख्य चालक को हार्ट अटैक आता है या कोई और समस्या होती है, जिससे वो ट्रेन नहीं चला पाता, तो सहायक चालक ट्रेन चलाने लगता है। अगले रेलवे स्टेशन पहुँचने पर कंट्रोल रूम को सूचना दी जाती है।

सहायक चालक को भी समस्या हो तो क्या?: मान लीजिए मुख्य चालक को हार्ट अटैक आया है या कोई स्वास्थ्य समस्या है, और सहायक चालक ट्रेन चला रहा है। अगर उसे भी कोई समस्या हो जाए और दोनों ही ट्रेन न चला पाएँ, तो भी रेलवे विभाग ने यात्रियों की सुरक्षा का इंतज़ाम किया है। ऐसे में ऑटोमैटिक ब्रेक का इस्तेमाल होता है।

रेलवे ने अपने सभी ट्रेनों के इंजनों में सतर्कता नियंत्रण उपकरण लगाए हैं। कंट्रोल रूम से इस उपकरण को सिग्नल भेजे जाते हैं। सिग्नल मिलने के बाद अगर ट्रेन चालक और सहायक चालक कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, तो ये उपकरण कंट्रोल रूम को चेतावनी सूचना भेजता है। अगर 17 सेकंड तक चालक कोई प्रतिक्रिया नहीं देता, तो कंट्रोल रूम सक्रिय हो जाता है। ट्रेन के ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाते हैं। धीरे-धीरे ट्रेन रुक जाती है। फिर अधिकारी वहाँ पहुँचकर जाँच करते हैं। भारत में कुल 22,593 से ज़्यादा ट्रेनें चलती हैं। इनमें लगभग 7,325 स्टेशनों वाली 13,452 पैसेंजर ट्रेनें हैं। इन पैसेंजर ट्रेनों में हर दिन 2.40 करोड़ यात्री सफ़र करते हैं।

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