JK में आतंकवादियों की बौखलाहट, ट्रांजिट कॉलोनियों को कब्रिस्तान बनाने की धमकी, इजरायल से की तुलना

 पिछले दिनों आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) द्वारा पत्रकारों को जान से मारने की धमकी दिए जाने के बाद अब घाटी में बसने वालों को धमकाया जा रहा है। आतंकी संगठन कश्मीर फाइट (Kashmir Fight) ने कश्मीर में रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाई जा रहीं ट्रांजिट कालोनियों को कब्रिस्तान बनाने की धमकी दी है।

Amitabh Budholiya | Published : Dec 15, 2022 4:11 AM IST / Updated: Dec 15 2022, 10:16 AM IST

जम्मू. पिछले दिनों आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) द्वारा पत्रकारों को जान से मारने की धमकी दिए जाने के बाद अब घाटी में बसने वालों को धमकाया जा रहा है। आतंकी संगठन कश्मीर फाइट (Kashmir Fight) ने कश्मीर में रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाई जा रहीं ट्रांजिट कालोनियों को कब्रिस्तान बनाने की धमकी दी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...


आतंकवादी संगठन ने जम्मू-कश्मीर मे काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों कश्मीरी पंडितों की लिस्ट जारी करके धमकी दी है। उन्हें घाटी में न बसने को कहा गया है। आतंकवादी संगठन ने कहा कि अगर उनकी बात को नजरअंदाज किया गया, तो टारगेट किलिंग को अंजाम दिया जाएगा।  दरअसल, पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बारामूला और बांदीपोरा में सरकारी कर्मचारी कश्मीरी पंडितों के लिए बन रही कॉलोनियों का दौरा किया था। आतंकवादी संगठनों ने ट्रांजिट कालोनियों को इजरायल जैसा सेटलमेंट बताया है।

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बता दें कि इससे पहले आतंकवादियों ने उनका सपोर्ट नहीं करने वाले मीडियाकर्मियों को धमकी दी थी। इसके बाद जांच एजेंसियों ने श्रीनगर, अनंतनाग और कुलगाम जिलों में तलाशी अभियान चलाया था। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट ने कश्मीर में काम कर रहे पत्रकारों को धमकी दी थी। इस मामले में पुलिस ने 12 नवंबर को केस दर्ज किया था। पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा और द रेजिस्टेंस फ्रंट के हैंडलर्स को आरोपी बनाया है। टीआरएफ ने देशद्रोह करने और फासीवादी भारतीय शासन के साथ सांठगांठ करने का आरोप लगाकर कश्मीर के कुछ मीडिया घरानों को ऑनलाइन धमकी दी थी। धमकी मिलने के बाद कई पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया था। 


जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक छोटे से प्रशासनिक बदलाव के तहत तत्काल प्रभाव से जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) के आठ अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का आदेश दिया है। जीएडी के आदेश के अनुसार, समीर अहमद जान, जेकेएएस, सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट, गुलमर्ग का तबादला कर उन्हें डीआईसी, कुपवाड़ा का महाप्रबंधक नियुक्त किया गया है। नईम उल निसा, जेकेएएस, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, सुरनकोट, पुंछ, उप पंजीयक, पुंछ का अतिरिक्त कार्यभार संभालते हुए उन्हें सहायक आयुक्त पंचायत, पुंछ के पद पर नियुक्त किया गया है।

सैयद अल्ताफ हुसैन मुसवी, जेकेएएस, सहायक आयुक्त पंचायत बांदीपोर का तबादला कर उप-विभागीय मजिस्ट्रेट गुलमर्ग लगाया गया है।

रिजवान असगर, जेकेएएस, सहायक आयुक्त पंचायत शोपियां का तबादला कर उपमंडल मजिस्ट्रेट, सुरनकोट लगाया गया है। वे अगले आदेश तक अपने कर्तव्यों के अलावा, सब-रजिस्ट्रार, सुरनकोट के पद का प्रभार भी संभालेंगे।

बशीर अहमद लोन, जेकेएएस, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट सुंबल को स्थानांतरित कर महाप्रबंधक, डीआईसी, कुलगाम के रूप में नियुक्त किया गया है, शूर्जील अली नाइकू, जेकेएएस, सहायक आयुक्त पंचायत, कुलगाम को पद के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त किया गया है। उमेश शान, जेकेएएस, सहायक आयुक्त पंचायत, रियासी का तबादला कर उप निदेशक, पर्यटन, जम्मू लगाया गया है। आमिर चौधरी, जेकेएएस, बीडीओ नौगाम का तबादला कर उन्हें उप-विभागीय मजिस्ट्रेट सुंबल के पद पर नियुक्त किया गया है।


सुप्रीम कोर्ट बुधवार को केंद्र के 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया, जिसने संविधान के आर्टिकल 370 को निरस्त करके जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म कर दिया था।भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया था, जिसने कहा कि वह जांच करेगी और एक तारीख देगी।

इससे पहले सितंबर में भारत के तत्कालीन CJI यूयू ललित ने कहा था कि दशहरा की छुट्टी के बाद याचिकाओं को 'निश्चित रूप से' सूचीबद्ध किया जाएगा। हालांकि तब इसे सूचीबद्ध नहीं किया जा सका था।

याचिकाओं को 2019 में एक संविधान पीठ के पास भेजा गया, जिसमें जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।

इस बेंच के एक सदस्य जस्टिस रेड्डी इस साल जनवरी में रिटायर्ड हो गए। केंद्र द्वारा 5 अगस्त, 2019 को नोटिफिकेशन जारी किए जाने के लगभग 4 महीने बाद दिसंबर 2019 में पांच-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आर्टिकल 370 से संबंधित मामलों की सुनवाई शुरू हुई।

संविधान पीठ ने 2 मार्च, 2020 को फैसला दिया कि आर्टिकल 370 के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती देने वाले मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की कोई जरूरत नहीं है।तब से याचिकाओं को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। 

(File Pic- एक कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार, जिन्हें शोपियां में आतंकवादियों द्वारा कथित तौर पर गोली मार दी गई थी, जम्मू में 16 अक्टूबर को उनके अंतिम संस्कार के दौरान)

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